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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राज्य में निजी यात्री बस ऑपरेटरों ने परिवहन विभाग और यातायात पुलिस पर अवैध रेवेन्यू वसूली, मनमानी चालानी कार्रवाई और अनावश्यक रोक-टोक के आरोप लगाए हैं। बस ऑपरेटर एसोसिएशन राजस्थान की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बस संचालक सभी वैधानिक दायित्वों का नियमित रूप से पालन कर रहे हैं, इसके बावजूद उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है।
एसोसिएशन के अनुसार निजी यात्री बसें राज्य की यातायात व्यवस्था, रोजगार सृजन और सरकारी राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। बस ऑपरेटर मासिक टैक्स, टोल टैक्स, बीमा प्रीमियम, परमिट शुल्क, ड्राइवर-कंडक्टर और स्टाफ का वेतन, मेंटेनेंस, डीज़ल और ईएमआई जैसे खर्च नियमित रूप से वहन कर रहे हैं। इसके बावजूद हर चेक पोस्ट, सड़क और विभागीय कार्रवाई में उन्हें अपराधी की तरह देखा जा रहा है।
बस ऑपरेटरों का कहना है कि लगातार कार्रवाई और नए-नए नियमों के कारण बस संचालन घाटे का सौदा बनता जा रहा है। हालात यह हैं कि बच्चों की पढ़ाई, घरेलू खर्च और इलाज तक के लिए पैसे नहीं बचते, जबकि हर माह कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। एसोसिएशन ने दावा किया है कि इस स्थिति के चलते राज्य से लगभग पांच हजार निजी स्लीपर कोच बसें बाहर जा चुकी हैं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।
प्रेस विज्ञप्ति में चेतावनी दी गई है कि यदि सरकार ने अवैध वसूली पर रोक नहीं लगाई, नियमों में स्पष्टता और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की तथा बस ऑपरेटरों को अपराधी समझने की मानसिकता नहीं बदली, तो राज्यभर में व्यापक आंदोलन किया जाएगा। यह आंदोलन शांतिपूर्ण और संवैधानिक होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और परिवहन विभाग की होगी।