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ठंड देखी और नाही देखा समय उठे और लगे यूरिया की लाइनों में
सीधा सवाल। डूंगला। खाद की किल्लत के चलते खेतीहर किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। जहां जिधर देखो उधर खाद की गाड़ी आने की सूचना मिलती है किसान वर्ग उधर ही दौड़ पड़ता है चाहे कितना भी चलना हो या जाना पड़े। यही हालत डूंगला में गुरुवार प्रातः देखने को मिला खाद वितरण की सूचना मिलने पर ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा जिसमें महिला बालिकाएं पुरुष युवक सभी को लाइनों में खड़े रहते देखा जा सकता है । प्रचंड सर्दी में भी न जाने उपखंड के किस-किस क्षेत्र से यूरिया लेने के लिए ग्रामीण उमड़े और लाइनों में प्रातः 8:00 बजे से ही लगे शुरू हो गए। सहकारी समिति में ग्रामीणों को यूरिया का वितरण कतर में खड़े महिला पुरुष को किया जा रहा था। प्रति व्यक्ति आधार कार्ड के आधार पर एक बैग तथा नकल के साथ 2 बैग व एक नैनो का वितरण किया जा रहा था। हालांकि लाइनों में लगने से हो हल्ला हुगदड़ होता रहा लेकिन फिर भी यूरिया खाद का वितरण संतोषजनक रहा। समिति की ओर से बताया गया कि यूरिया के 700 बैग की गाड़ी पहुंची है । खाद वितरण करने में सहकारी समिति व्यवस्थापक संदीप मोगरा थे। वही AAO ने भी मौके का दौरा किया । यहां यह बता दें कि एक तरफ राज्य सरकार के अपने नियमों के तहत कोई भी खाद्य विक्रेता नैनो यूरीया साथ में नहीं देगा दूसरी तरफ देखे तो बिना नैनो के कोई भी विक्रेता यूरिया वितरण नही कर रहा है। यह दो भाषी अर्थव्यवस्था का खेतिहर किसानों ने विरोध किया। किसान अंबालाल ने कहा कि आखिर किसान करे तो क्या करें और जाए तो कहां जाए मरता क्या नहीं करता वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आई। मजबूरन में हमें नैनो लेना पड़ रहा है।