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छोटीसादड़ी। उपखंड के बंबोरी-रघुनाथपुरा गांव में अलौकिक शक्तियों के स्वामी भगवान शंभू भगवान स्वयंभू भूतनाथ श्मशान भूमि में सवा सौ फीट गहरी गुफा में विराजमान है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी होती है। देवों के देव महादेव भगवान भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। गंगेश्वर महादेव के नाम से लेकर एक प्राचीन किवंदती प्रसिद्ध है,कहते हैं कि कस्बे के उत्तर दिशा की ओर 8 किलोमीटर दूर बिनोता कस्बा है,जिसके राजा चकवा बेन हुआ करते थे, वह गंगा मैया के परम भक्त थे। कहा जाता है,कि वह नित्य प्रतिदिन गंगा नदी में जाकर स्नान करते थे। एक दिन गंगा एकादशमी को भरुच नामक राक्षस ने छल पूर्वक रात को मुर्गा बनकर बाग दी। राजा चकबाबेन उठकर गंगा स्नान के लिए चले गए। पीछे से राक्षस ने रानी के साथ दुराचार करने की कोशिश की, तभी वहां विराजित अंबा माता ने राक्षस का वध कर दिया। गंगा मैया ने राजा की निष्ठा भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान देने की बात कही राजा ने गंगा मैया को उनके राजमहल में आने का वरदान मांगा, गंगा मैया प्रसन्न होकर राजा के राजमहल की ओर जा रही थी, तभी राह मे बंबोरी गांव में गायों के झुंड में से होकर गुजरने लगी, तभी गोपालक ने उन्ही में से एक गाय जिसका नाम गंगा था उसको उसके नाम से पुकारा "ए गंगा कहां जा रही है" रुक जा" इतना कहते ही गंगा मैया उसी स्थान पर धरती मैया को चीरकर सवा सौ फीट गहरी गुफा के अंदर समा गई, उसी दिन से गंगेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हो गया। जब इस बात का पता राजा चकवा बेन को लगा तो राजा ने माता से अपने गृह क्षेत्र में चलने की विनती की,तो गंगा मैया ने कहा अब में यही रहूंगी, लेकिन मेरा आंशिक रूप इसी गुफा में से होता हुआ तेरे महल की बावड़ी में प्रभावित होगा,उसी दिन से बंबोरी की गुफा में से होता हुआ 8 किलोमीटर दूर बिनोता कस्बे की बावड़ी में गोमुख द्वारा गंगा जल प्रवाहित होता है, इसके प्रमाण के लिए प्राचीन काल में भक्त बंबोरी गंगेश्वर गुफा में पुष्प प्रवाहित करते थे जो कि बिनोता की बावड़ी में से निकलते थे,लेकिन वर्तमान में अब धीरे-धीरे इस गुफा के द्वार में पत्थर गिरने के कारण इस का मार्ग सकरा व अवरुद्ध हो गया है।
- लगभग 11 सौ साल पुराना है शिव मंदिर
पुराने लोगों के अनुसार गंगेश्वर महादेव मंदिर संवत 949 में बनाया गया,करीब 1123 वर्ष पुराना मंदिर है। करीब 800 वर्ष पूर्व से मंदिर की पूजा ओसरा नाथ समाज के पुजारी व वंशज कर रहे हैं। जिनको प्राचीन काल में भोले बाबा श्री गंगेश्वर महादेव की सेवा पेटे 300 बीघा जमीन राजा द्वारा दी गई थी। जो कि अभी हाल वर्तमान में भी 25 बीघा जमीन है। जिस पर नाथ समाज पुजारी के वंशज सेवा पेटे खेती कर रहे हैं। बंबोरी से आधा किलो मीटर दूर प्रकृति की गोद में बसा रमणीक स्थल श्री गंगेश्वर महादेव पर आने वाले श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी होती है।
- हर मुराद पूरी करते हैं गंगेश्वर,राजनैतिक दल करते हैं चुनावी शंखनाद
सन 2014 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया बंबोरी स्थित गंगेश्वर महादेव के दरबार में चुनावी सभा का आगाज किया व उन्होंने राजस्थान की 25 लोकसभा सीट जीतने की मन्नत मांगी थी,वह मुराद पूर्ण होने क्षेत्रीय विधायक श्री चंद कृपलानी व ग्रामीणों की मांग पर श्री गंगेश्वर महादेव को विकसित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से 50 लाख के विकास कार्य जिनमें श्री गंगेश्वर महादेव में श्री उद्यान का निर्माण,गुफा में आकर्षक सौंदर्यीकरण व मंदिर के सामने फव्वारा निर्माण करवाया था। जिससे श्री गंगेश्वर महादेव की सुंदरता में चार चांद लग गए। श्री गंगेश्वर महादेव में स्थाई हेलीपैड भी बना हुआ है,जहां पर अब तक दो बड़े नेता मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया व किरोड़ी लाल मीणा चुनावी सभा कर चुके है।
- हर साल धार्मिक आयोजन आकर्षण का केंद्र रहते हैं
गंगेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में प्रतिवर्ष ग्रामीणों के सहयोग से एक बार श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन करवाया जाता है, जिसमें क्षेत्र में सुख, शांति, समृद्धि और ईश्वर की कृपा बनी रहती है, गंगेश्वर महादेव मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए एक भोजनशाला भी बनी हुई है,जो 30 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है जिसका उपयोग राम रसोडा में व भोजन प्रसादी में किया जाता है। नहाने के लिए महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग स्नानघर बने हुए हैं,जिससे श्रद्धालुओं के लिए कोई समस्या नहीं रहती है। प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की एकादशी को गंगेश्वर में तीन दिवसीय मेला,महाशिवरात्रि मेला,हरियाली अमावस्या को मेला लगता है। आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के श्रद्धालु मेले का आनंद उठाते हैं,प्रतिवर्ष श्री गंगेश्वर सेवा संस्थान की ओर से मकर सक्रांति के पावन पर्व पर रक्तदान शिविर लगाया जाता है। जहां पर लोग स्वैच्छिक रक्तदान कर पुण्य कमाते हैं। श्री गंगेश्वर महादेव की पावन धरा पर प्रतिवर्ष ग्रामीणों द्वारा पौधारोपण कार्यक्रम किए जाते हैं। प्रतिवर्ष सांवलिया जी व रामदेवरा के पैदल यात्रियों के लिए श्री गंगेश्वर में निशुल्क राम रसोडा चलाकर पैदल यात्रियों को निशुल्क भोजन करवाया जाता है।
- प्राचीन व पुरातत्व कला का जीवंत व आकर्षक नमूना छतरियां
यहां पर विभिन्न समाज की छतरियां बनी हुई है,जहां पर श्रद्धालु श्रद्धा से सिर झुकाते हैं, जिनमें मंदिर प्रांगण में जणवा,वैष्णव,राजपूत व माहेश्वरी समाज की छतरियां बनी हुई है। प्राचीन किवंदती है कि उदयपुर मेवाड़ का संबंध बंबोरी के राजघराने में तय हुआ,तय होने के बाद राजा को रानी के साथ ब्याव करना पसंद नहीं आया तो उन्होंने रिश्ते को तोड़ने के लिए बंबोरी में राणा का मुकुट वह कटार भेज कर उनकी मौत का झूठा समाचार भेजा,उसी क्षण क्षत्राणी ने सती होने का निश्चय किया, तथा सती होने के लिए अग्नि प्रज्जवलित की,उसी क्षण उत्तर दिशा में उमड़ घुमड़ कर बादल आए तथा बारिश होने लगी, कहते हैं तभी वीर क्षत्राणी ने अपने सतीत्व के बल पर बादलों को बांधकर वर्षा रोककर सती हो गई, कहते हैं उसी दिन से आज दिन तक उत्तर दिशा से आने वाले बादलों से बारिश नहीं होती है,गंगेश्वर मे बनी हुई प्राचीन पुरातत्व कला की छतरियां जीवंत चित्रकला का नमूना पेश कर रही है।