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भारतीय संस्कृति में पौराणिक काल से ही पर्व एवं त्योहार आपसी भाईचारा , प्रेम एवं स्नेह , बंधुत्व की भावना को बढ़ाने के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रतीक रहे है । राजस्थान में एक लोक कहावत प्रचलित है - तीज त्यौहार बावड़ी , ले डूबी गणगौर अर्थात श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया से हमारे यहां त्योहारों की शुरुआत हो जाती है । इसके बाद बहुत सारे त्योहार आते है जैसे - रक्षाबंधन , कृष्ण जन्माष्टमी , श्राद्ध पर्व , नवरात्रि , दशहरा , दीपावली आदि ।
रक्षाबंधन कब मनाया जाता है : -
हिन्दू संस्कृति में पौराणिक काल से श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व या त्योहार मनाया जाता आ रहा है । श्रावण मास में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी या सलूनों भी कहा जाता है । यूं तो रक्षाबंधन भाई - बहन का त्योहार है , भाई - बहन के बीच प्रेमतंतु को निभाने का वचन देने का दिन है , अपने विकारों पर नियंत्रण पाने का दिन है एवं बहन के लिए अपने भाई का संरक्षण पाने का दिन है । इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाईयों पर रक्षासूत्र बांध कर भगवान से उनकी सुख समृद्धि , वैभव एवं सुखी जीवन की प्रार्थना करती है और भाई अपनी बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है तथा सदैव बहन की सुरक्षा का वचन देते है । इसके अलावा भारत की वैभवशाली संस्कृति में ब्राह्मणों , ऋषि और मुनियों , गुरूजनों और सगे संबंधियों को भी परिवार की छोटी लड़कियों द्वारा राखी बांधी जाती है ।
रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ : -
रक्षाबंधन दो शब्दों - रक्षा और बंधन से मिलकर बना है जिसका क्रमशः अर्थ है सुरक्षा और बांधना अर्थात् एक ऐसा रक्षासूत्र जिसे बहन अपनी सुरक्षा हेतु भाई की कलाई पर बांधती है ।
पेड़ों को रक्षासूत्र बांधने वाली जाति और समुदाय : -
राजस्थान के पश्चिमी जिलों में निवास करने वाली विश्नोई जाति और दक्षिण राजस्थान में निवासरत आदिवासी समुदाय के लोगों पेड़ पौधों एवं वनों की सुरक्षा एवं संवर्धन हेतु पेड़ पौधों को भी राखी बांधते है और प्रकृति की सुरक्षा का संकल्प लेते है ।
ब्राह्मण यजमानों को बांधते है रक्षासूत्र : -
हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में भी ब्राह्मण अपने यजमानों को रक्षासूत्र बांधते है और संस्कृत के एक श्लोक का उच्चारण करते है -
येन बध्दो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल: ।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
अर्थात जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था , उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं । हे रक्षे ( राखी ) ! तुम अडिग रहना और अपने संकल्प से कभी विचलित ना होना ।
इस प्रकार से ब्राह्मणों द्वारा भी यजमानों को धार्मिक कार्यों के लिए प्रेरित करने हेतु रक्षासूत्र बांधा जाता है ।
कच्चा धागा , बन्धन पक्का : -
रक्षाबंधन का त्योहार भाई - बहन को एक दूसरे के प्रति प्यार सम्मान के साथ रक्षा का बोध कराता है । कच्चे धागे से बंधा भाई - बहन का यह रिश्ता अटूट है । इस अनोखे रिश्ते को निभाने का वचन भाई अपनी बहन को देता है ।
लेखक : -
महेश कुमार मीना ' बामनवास '
संस्कृत शिक्षा विभाग में शिक्षक