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शिवगंज ।स्कूल शिक्षा में उप प्रधानाचार्य के पद का पुनः सृजन शैक्षिक गुणवत्ता की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगा।राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र गहलोत ने राज्य सरकार की इस दिशा में पहल को स्वागत योग्य बताया है। सरकार की ओर से अशोक कुमार त्रिवेदी शासन उप सचिव प्रथम तथा डॉ रणवीर सिंह विशेषाधिकारी शिक्षा ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा को पत्र प्रेषित कर स्कूली शिक्षा में उपप्रधानाचार्य के पद के पूर्व की भाँति पुनः सृजन हेतु नियमानुसार परीक्षण कर युक्ति युक्त प्रस्ताव भेजने को लिखा है । गौरतलब है कि संगठन के गत सत्र के 6-7 दिसम्बर भीलवाड़ा में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन में राज्य के शिक्षा तन्त्र की विभिन्न समस्याओं एवम वेतन विसंगति दूर करने का 54 बिन्दुओ का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया था। जिसमें 32 वे बिंदु में इसी उपरोक्त पद के पुनः सृजन की मांग की गई थी। राज्य की वर्तमान अशोक गहलोत सरकार के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से संगठन की वार्ता में भी इसपर चर्चा हुई थी। सरकार का संगठन की शिक्षा हितैषी माँग पर अमल करना राज्य के व्याख्याताओ को पदोन्नति के अवसर देने का अत्यंत उत्साहित कदम है । लेकिन इसे 5400 की ग्रेड पे की बजाय 6000 की ग्रेड पे रखनी चाहिए जिससे दोनों पदों के केडर में जिम्मेदारी के अनुसार भिन्नता नजर आए । माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक की न्यूमतम योग्यता स्नातक है सेकंड ग्रेड से पदोन्नति प्राप्त है तथा 1 से 10 कक्षाओं की प्रशासनिक व्यवस्था देखते है । लेकिन उच्च माध्यमिक के उपप्रधानाचार्य की न्यूनतम योग्यता अधिस्नातक है जो व्याख्याताओ से पदोन्नति प्राप्त होकर 1 से 12 तक की प्रशासनिक व्यवस्था देखेंगे। सरकार के इस कदम से पीईईओ को अपने क्षेत्र अधीन विद्यालयो की शैक्षिक व्यवस्था सम्भालने के अधिक अवसर प्राप्त होंगे।