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बाड़मेर। शहर के जैसलमेर रोड़ स्थित नेहरू युवा केन्द्र के पास संत निरंकारी सत्संग में रविवार प्रातः 10 से 1 बजे तक विशाल साप्ताहिक निरंकारी सत्संग का आयोजन किया गया। निरंकारी मण्डल के मीडिया सहायक हितेश तंवर ने बताया कि, निरंकारी सत्संग का आयोजन बाड़मेर के जॉनल प्रभारी संत शांतिलाल के सानिध्य में हुआ। सत्संग में कवास, भीलो का पार, उत्तरलाई, बालोतरा, रामसर, बायतु, शिव, धोरीमन्ना सहित बाड़मेर के सैकड़ों निरंकारी अनुयायी उपस्थित रहें। सत्संग में कई निरंकारी अनुयायियों ने भजन एवं विचारों से सतगुरु से आशीर्वाद प्राप्त किया।
सत्संग के दौरान संत शांतिलाल ने अपने विचारों में कहा कि, इंसानियत का दामन कभी छोड़ें कुछ भी बन लो जिदंगी में मुबारक है पर सबसे पहले एक अच्छा इंसान बन जा, तो जिंदगी सफल बन जाएगी। उन्होंने एक जीवन को सुंदर ढंग से जीने की एक कला बताई एवं कहा कि अपने जीवन को प्रीत, प्यार और नम्रता से बिताएं और दूसरों का भला करते जाएं। प्यार नम्रता के साथ दुनिया में जीवन जीने के लिए आज यह जरुरी है कि दुनिया का एक-एक इंसान खान पान, रंग नस्ल आदि की विभिन्नताओं को सहज भाव से स्वीकार करते, प्यार और मिलवर्तन की भावना को अपनाएं। सेवा हमेशा गुरु के हुक्म से की जाती है एवं वह बन्धन मुक्त है। ऐसी सेवा वह सुखों को प्राप्त करती है। घर को मंदिर बनाने का अर्थ यही है कि घर में माता-पिता एवं अपने पूरे परिवार के सदस्यों से प्यार एवं नम्रता को अपने जीवन में ढालते हुए जीवन जिये। हम जब पुराने मकान से नए मकान में प्रवेश करते हैं तब पुराने सामान को छोड़ नए सामान को लेते हैं। इसी प्रकार नया वर्ष भी आ रहा है। जिसमे हम वैर, नफरत को छोड़ कर प्रेम का घर बनाते जाए एवं सुखदायी जीवन जीते जाए।