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सीधा सवाल। भूपालसागर। मेवाड़ के शंखेश्वर, 108 श्री करेड़ा पार्श्वनाथ जैन तीर्थ में इन दिनों धर्म आराधना का भव्य आयोजन चल रहा है। शनिवार और रविवार को विशेष धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें उपधान तप की आराधना के तहत परम पूज्य आचार्य निपुणरत्न सूरीश्वर जी और उनके ठाना ने जीवन की तीन प्रमुख भूमियों का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि कर्मभूमि, जन्मभूमि, और तीर्थभूमि में तीर्थभूमि का सर्वोच्च स्थान है, क्योंकि तीर्थभूमि पर धर्म आराधना से जीवन पवित्र और सार्थक बनता है। आचार्यश्री ने करेड़ा तीर्थ की ऐतिहासिक महत्ता को रेखांकित करते हुए बताया कि लगभग 700 वर्ष पूर्व मांडवगढ़ के मंत्री पेथड़शाह के पुत्र झांझन शाह ने इस तीर्थ का जीर्णोद्धार करवाने का संकल्प लिया था। अधिष्ठायक देव की साधना और तप के माध्यम से यह कार्य पूर्ण हुआ। अब वर्षों बाद इस पवित्र भूमि पर अंजनशलाका प्रतिष्ठा का आयोजन हो रहा है।
शनिवार को जाजम मुहूर्त का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें मेवाड़ क्षेत्र के भीलवाड़ा, चित्तौड़, राजसमंद, उदयपुर, प्रतापगढ़, विजयनगर, जावर, नीमच, मंदसौर, और निम्बाहेड़ा जैसे अनेक स्थानों से श्रावक-श्राविकाएं पधारे। भगवान का अभिषेक और प्रतिष्ठा कार्य के दौरान उत्तम द्रव्यों का उपयोग किया गया। मेवाड़ गौरव महोत्सव के लिए विचार-विमर्श किया गया, और सभी संघों को निमंत्रण की जिम्मेदारी सौंपी गई। शनिवार रात भव्य भक्ति संध्या आयोजित हुई, जिसमें संगीतकार दीपक करणपुरिया ने अपने भजनों से श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। रविवार को पूरे करेड़ा तीर्थ मंडल ने धूमधाम से जाजम का चढ़ावा लेकर मंगल कार्यों की शुरुआत की। कुंवारी कन्याओं ने कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर शुभारंभ किया। कार्यक्रम के दौरान तीन तीर्थों के विशेष चढ़ावे बोले गए, जिसमें भगवान के माता-पिता बनने और साधर्मिक भक्ति के लाभ शामिल रहे। आचार्य निपुणरत्न सूरीश्वर जी ने महा मांगलिक सुनाकर कार्यक्रम का समापन किया। महिला मंडलों ने भी पूजा-अर्चना में बढ़-चढ़कर भाग लिया। शनिवार को नाथद्वारा महिला मंडल ने स्नात्र और पंचकल्याणक पूजा संपन्न करवाई, वहीं रविवार को डूंगरपुर महिला मंडल ने इसी क्रम को जारी रखा। भक्ति, गाजे-बाजे और संगीत से वातावरण उत्साहपूर्ण रहा। कार्यक्रम के अंत में सभी श्रावकों ने स्वामीवात्सल्य का लाभ लिया। आगामी पोष दशमी पर अठम तप और भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा।