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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। रेलवे लाइन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के बाद उचित मुआवजा न मिलने से नाराज किसानों का धरना-प्रदर्शन सोमवार को चौथे दिन भी जारी रहा। प्रदर्शन में अचलपुरा, सेमरड़ा, छोटीसादड़ी, बरेखन, मलावदा, नाराणी सहित अन्य गांवों के सैकड़ों किसान शामिल हुए। किसानों ने रेलवे विभाग के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए निर्माण कार्य ठप करा दिया है।
धरने के दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि उनकी अपीलों पर सुनवाई करने के बजाय प्रशासन बार-बार मामले को टाल रहा है। लगभग सात महीने तक अपीलें बांसवाड़ा संभागीय आयुक्त के पास लंबित रहीं। इसके बाद डेढ़ महीने के लिए चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर कार्यालय भेज दी गईं। अब यह मामला जयपुर संभागीय आयुक्त के पास स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे किसानों में गहरा आक्रोश है। किसानों का कहना है कि 2014 में एनएचएआई ने भूमि अधिग्रहण के लिए प्रति आरी एक लाख रुपये मुआवजा दिया था। लेकिन रेलवे द्वारा दी जा रही मुआवजा राशि इससे काफी कम है। किसानों ने एनएचएआई की तर्ज पर मुआवजा निर्धारण की अपील की थी। बावजूद इसके, उनकी अपीलों पर सुनवाई करने की बजाय उन्हें जगह-जगह चक्कर कटवाए जा रहे हैं। किसानों ने बताया कि 27 अक्टूबर को किसान अपनी अपीलों की सुनवाई के लिए चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। लेकिन उस दिन भी उनकी सुनवाई नहीं हुई और अगली तारीख 8 नवंबर दी गई। इसके बावजूद 17 अक्टूबर को राजस्थान सरकार ने पत्रावली स्थानांतरित करते हुए इसे जयपुर संभागीय आयुक्त को सौंप दिया। किसानों ने मांग की है कि उनकी अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा एनएचएआई की दर पर तय किया जाए। साथ ही, "अंडर प्रोटेस्ट" के तहत एसडीएम कार्यालय से मुआवजा राशि का तुरंत भुगतान करवाने की मांग कर रहे हैं। इधर, पिछले चार दिनों से चल रहे इस धरने के कारण रेलवे का निर्माण कार्य पूरी तरह से बंद है। किसान चेतावनी दे चुके हैं कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक धरना जारी रहेगा। वही, अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन और उग्र होगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।