चित्तौड़गढ़ - बसंत पंचमी पर शिव, सिद्ध और साध्य योग के अद्भुत संयोग में की जाएगी माँ सरस्वती की आराधना
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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। सनातन धर्म के लोगों के लिए बसंत पंचमी के पर्व का खास महत्व है ज्ञान, बुद्धि व विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा माघ महीने के शुक्ल पक्ष की इसी पंचमी तिथि को की जाती है। मान्यता है कि माँ सरस्वती की
उपासना करने से साधक को विवेक, बुद्धि, प्रतिष्ठा, कला और वाणी आदि का वरदान मिलता है।वैदिक पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष सोमवार,3 फरवरी को बसंत पंचमी पर रेवती नक्षत्र व शिव, सिद्ध और साध्य योग के अद्भुत संयोग में मां सरस्वती की पूजा होगी। साथ ही इसी दिन न्याय के देवता शनि देव सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे, जहां पर वह 2 मार्च 2025 तक विराजमान रहेंगे, जिसका सीधा लाभ सात्विक जातको को होगा ।
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग की गणना के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ रविवार, 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन सोमवार, 3 फरवरी को प्रात: काल 6 बजकर 52 मिनट पर होगा। इस प्रकार उदयातिथि के आधार पर इस बार रविवार, 2 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा।
ये जुडी हुई है मान्यताए
प्रचलित धार्मिक मान्यताओ के आधार पर बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव व माता पार्वती का तिलकोत्सव हुआ और उनके विवाह की रस्में शुरू हुईं थीं अतः इस दिन विवाह का अबूझ मुहूर्त भी माना गया है । ऐसे में इस दिन गृह प्रवेश, नौकरी व व्यापार का आरंभ, भूमि पूजन, वाहन, आभूषण की खरीदारी के लिए उत्तम माना जाता है। मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पीतांबर धारण करके मां सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पंचमी तिथि को किया था।ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन मंत्र दीक्षा, नवजात शिशुओं का अक्षरारंभ, नए रिश्ते का आरंभ, विद्यारंभ व नए कला का शुरुआत करना शुभ माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती के साथ ही भगवान गणेश, लक्ष्मी, नवग्रह, पुस्तक लेखनी व वाद्य यंत्रों की पूजा का विधान भी है । पंचमी तिथि के दिन श्रद्धालु पीले रंग का वस्त्र धारण करते हैं। मान्यता है कि पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है, जो ज्ञान, धन व शुभता के कारक माने जाते हैं। ग्रह के प्रभाव से धनागमन, सुख व समृद्धि की प्राप्त होती है।
राशि अनुसार इन वस्तुओ का करे दान
ज्योतिषीय मान्यताओ के आधार पर बसंत पंचमी के दिन यदि कोई भक्त मां सरस्वती की पूजा करने के साथ-साथ कुछ विशेष चीजों का दान करता है, तो उसे माता रानी से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के दिन क्रमशः मेष राशि के जातक गुड़ , वृषभ राशि चावल, मिथुन राशि मसूर की दाल, कर्क राशि सफेद ऊनी वस्त्र, सिंह राशि गुड़ का दान , कन्या राशि हरे वस्त्र, तुला राशि चीनी का दान, वृश्चिक राशि गेहूं का दान,धनु राशि पीले रंग के वस्त्रों का दान, मकर राशि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए तिल का दान कुंभ राशि गरीबों को कंबल का दान एवं मीन राशि जातको को गुरु देव और माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए बसंत पंचमी के दिन अन्न का दान करना चाहिए ।