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सीधा सवाल। डूंगला। डूंगला उपखंड क्षेत्र के करसाना ग्राम पंचायत के छोटे से गाँव पराना में महाशिवरात्रि का दिन विशेष महत्व रखता है। जहां एक ओर श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं, वहीं दूसरी ओर गाँव के शंकर तेली अपने पालतू नंदी के जन्मदिन को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। शंकर तेली ने बताया कि करीब दस वर्ष पूर्व महाशिवरात्रि के दिन उनके घर में गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया था। तब से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और उन्होंने इसे भगवान शिव का आशीर्वाद मान लिया। इस अनोखी खुशी को व्यक्त करने के लिए वे हर साल शिवरात्रि के दिन नंदी का जन्मदिन केक काटकर और गाँव में मिठाई बाँटकर मनाते हैं।
आवारा गायों को छोड़ने वालों के लिए सीख
आज के दौर में जब कई लोग दूध न देने वाली गायों को आवारा छोड़ देते हैं या बेच देते हैं, शंकर तेली का यह कार्य समाज के लिए प्रेरणा है। वे न केवल अपने पशुओं की सेवा करते हैं, बल्कि गाँववालों को भी गौसेवा और जिम्मेदारी का महत्व समझाते हैं। गौमाता में 33 कोटि देवताओं का वास माना जाता है और उनकी सेवा करना भगवान शिव की सेवा के समान है। पराना गाँव के इस अनूठे आयोजन ने लोगों को यह संदेश दिया कि गाय को पालना सिर्फ दूध तक सीमित नहीं, बल्कि उसे पूरे जीवनभर सम्मान देना हमारी जिम्मेदारी है।
गाँव में बटी मिठाई, बछड़े की हुई पूजा
हर साल की तरह इस बार भी महाशिवरात्रि के दिन शंकर तेली ने अपने नंदी के जन्मदिन पर केक काटा और पूरे गाँव में मिठाई बाँटी। ग्रामीणों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह परंपरा न केवल गौसेवा को बढ़ावा देती है, बल्कि समाज में पशु-प्रेम की भावना भी जाग्रत करती है। शंकर तेली की यह पहल उन लोगों के लिए आईना है, जो बूढ़ी गायों को छोड़ देते हैं। उनका मानना है कि गाय की सेवा से ही घर में सुख-समृद्धि आती है, और इसे सिर्फ दूध देने के नजरिए से देखना गलत है।
गौसेवा की इस अनोखी परंपरा ने न केवल पराना गाँव बल्कि पूरे क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। शंकर तेली का यह कार्य हमें सिखाता है कि पशुओं की देखभाल और सम्मान करना हमारी संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा है।