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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत आयोजित प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों (तिलहन) में सोयाबीन फसल की नवीन उन्नत किस्म जे.एस. 20-116 पर पंचायत समिति गंगरार के गांव चतरा का खेड़ा में प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। सोयाबीन किस्म जे.एस. 20-116 के 50 किसानो के यहां 20 हैक्टर में प्रदर्शन आयोजित किये गये। जिसमें 70 कृषक एवं कृषक महिलाओं, अन्तिम वर्ष कृषि स्नातक के रावे विद्यार्थियो ने भाग लिया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतन लाल सोलंकी, ने कृषको को प्रदर्शन खेत व कृषक पद्धति के खेतो में तुलना करते हुए अन्तर स्पष्ट किया उन्होने प्रदर्शन खेत के पौधो की वृद्धि व शाखाए अधिक तथा फलियों व दानो की संख्या स्थानीय किस्म से अधिक पाई गई, यह किस्म 95-100 दिन में पकती है एवं रेतीली एवं मध्यम भूमि क्षेत्रो के लिए उपयुक्त है, औसत पैदावार 20-25 क्विंटल प्रति हैक्टर, प्रोटीन 40 प्रतिशत होता है। जेएस 20-116 एक उच्च उपज वाली सोयाबीन किस्म है जिसकी विशेषताएं हैं मध्यम ऊंचाई, सफेद फूल, चिकने तने और फलियां, और पीले बीज जिनमें एक विशिष्ट काला केंद्रक होता है। यह किस्म उच्च अंकुरण क्षमता वाली है और तेल की मात्रा 19-20 प्रतिशत होती है। यह किस्म पीला मोजेक रोग, चारकोल सड़न, राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट, पत्ती धब्बा, तना मक्खी, तना छेदक और पत्ती भक्षक जैसे रोगों और कीटों के प्रति सहनशील है। प्रदर्शन खेत से प्राप्त उत्पादन बीज को प्रसार करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही फसलो में खरपतवार प्रबंधन तथा समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन की तकनीकी जानकारी दी।
केन्द्र के संजय कुमार धाकड़, कार्यक्रम सहायक ने सोयाबीन की खेती में बीजोपचार व पौध संरक्षण के बारे में तकनीकी जानकारी पर चर्चा करते हुए उत्पादित बीज को आगामी फसल की बुवाई के लिए भण्डारण कर स्वयं एवं पड़ोसी गांवो के अन्य किसानो को बीज के रूप में बेचकर आमदनी में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया। यह किस्म में पीला मोजेक रोग प्रतिरोधी है। साथ ही उन्होने फल व सब्जियों में कीट रोग प्रबंधन के जैविक तरीके बताये। शंकर लाल नाई, सहायक कृषि अधिकारी (सेवानिवृत) ने उपस्थित कृषक एवं कृषक महिलाओ को सोयाबीन की उन्नत तकनीकी के बारे में जानकारी दी। अन्त में प्रक्षेत्र दिवस में उपस्थित सभी कृषक एवं कृषक महिलाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।