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सीधा सवाल। निम्बाहेड़ा।
मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ मंदिर में दस दिवसीय शारदीय नवरात्रि के अनुष्ठान आश्विन शुक्ल नवमी की मध्य रात्रि को यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ पूर्ण हुए। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कल्लाजी वेदपीठ पर शारदीय नवरात्रि के अनुष्ठान आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को शुभ मुहूर्त में घट स्थापना के साथ प्रारंभ हुए थे। वेदपीठ के आचार्यों ने बताया कि इस दौरान कई महत्वपूर्ण धार्मिक क्रियाकलाप किए गए। बगला मुखी के एकोनविंशति अक्षर मंत्र के 21 लाख जाप और एकाक्षरी अक्षर बीज मंत्र के सवा लाख जाप किए गए। बगला सप्त चंडी के पाठ भी पूर्ण किए गए। मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप मां बगलामुखी की श्रद्धापूरित प्रतिमा की वेदपीठ पर स्थापना के बाद दशमी को विसर्जन किया गया। दुर्गा नवमी को पंच कुंडीय मां बगलामुखी महायज्ञ विशेष अनुष्ठान के रूप में आयोजित किया गया। इस महायज्ञ में 160 प्रकार की औषधियों से यज्ञ की पूर्णाहुति की गई। इनमें प्रमुख रूप से जटा मासी, गौखरु, काली मिर्च, सरसो, विष्णुक्रान्ता, आंवला, हल्दी, कमलगट्टा, कनेर पुष्प, समुद्र जाग, बिल्वपत्र, मजीठ, हरि सब्जी, नाग केसर, शिवलिंगी, रक्तगुंजा, चंदन, कमल पुष्प, जावित्री, ब्राम्ही, बिजोरा नींबू, काली हल्दी, सिंदूर, खदिर, सह देवी, काले तिल, माखन समेत अन्य जड़ी-बूटियाँ शामिल थीं। वेदपीठ के आचार्यों एवं बटुकों द्वारा बगला सप्त चंडी के पाठ करते हुए सर्वत्र सुख-शांति की कामना की गई। आचार्यों ने बताया कि मां दुर्गा के मंत्र जाप करने से नौ ग्रहों में से किसी भी ग्रह की दिशा विपरीत होने पर सुख-शांति मिलती है।