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मध्य रात्रि में चंदा मामा बरसाएंगे अमृत
सीधा सवाल। चिकारड़ा। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आकाश में जगमगाते हुए अम्रत बरसायेगा। जिससे प्रत्येक व्यक्ति के साथ स्वास की बीमारी वाले को बहुत ज्यादा फायदा होगा। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। ऐसी मान्यता भी है कि इस रात चंद्रमा की किरणें विशेष औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं, जो तन-मन को शुद्ध कर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसी को लेकर परंपरा बनी हुई की इस अवसर पर घर-घर दूध और चावल से बनी खीर तैयार की जाती है । खीर को जालीदार कपड़े से ढककर रात 12 बजे तक चांदनी में रखा जाता है। माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी से खीर में अमृततुल्य गुण समाहित हो जाते हैं। उक्त खीर का भगवान को भोग लगाकर प्रसाद के रम में वितरित किया जाता है । पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पूर्ण रूप से सम्पन्न होता है, जिससे उसका पूजन और अधिक प्रभावशाली हो जाता है। इसी उपलक्ष्य में मंदिरों में भी खीर का विशेष भोग अर्पित किया जाता है ।