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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भागवत मर्मज्ञ युवा संत दिग्विजय राम जी ने कहा कि 18 पुराणों में श्रीमद् भागवत ही ऐसा महापुराण है जो मृत्यु को भी उत्सव बनाना सीखाता है l जिसके माध्यम से राजा परीक्षित को 7 दिवस में ही मोक्ष प्राप्त हो सका l संत दिग्विजय राम जी ने भिंडर (जिला उदयपुर)में आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के द्वितीय दिवस व्यासपीठ से श्रीमद् भागवत महापुराण का रसाअमृत पान करा रहे थे l उन्होंने भागवत के मंगलाचरण में नमीसारिणय तीर्थ पर सूत जी द्वारा 88000 ऋषियों को भागवत श्रवण कराने और ऋषियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर बताते हुए कहा कि भगवान की भक्ति ही जीवन में कल्याण का सही मार्ग है और भक्ति भी 'अहेतु' होनी चाहिए वही ईश्वर के प्रति दृढ विश्वास के अभाव में व्यक्ति दुखी होता है l उन्होंने कहा कि प्रभु से प्रेम भावना लेकर शरणागति भाव से मंदिर में जाना चाहिए उन्होंने मतंग ऋषि की शबर कन्या भक्ति मति शबरी जैसी प्रतीक्षा और मीरा जैसी प्रेमा भक्ति को अपनाने का आह्वान किया l इसी दौरान जब व्यास पीठ से मेरी झोपड़ी के भाग जाग जाएंगे भजन की प्रस्तुति हुई तो श्रद्धालू भक्ति से सराबोर हो गए l उन्होंने कहा कि जीवन में कैसा भी कष्ट हो लेकिन भक्ति छुटनी नहीं चाहिए जैसा कि नरसी भगत, सुदामा, शबरी, मीरा ने भक्ति करके भगवान को प्राप्त कर लिया l उन्होंने कहा कि जीवन में नवदा भक्ति के माध्यम से ही आनंद प्राप्ति संभव हैl वही हमें तार देने वाले तीर्थ पर जाकर स्नान करने से जो लाभ मिलता है उतना ही फल राम नाम से संभव है इसलिए नाम आश्रय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए उन्होंने श्रीमद् भागवत उत्पत्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि वेदव्यास द्वारा 17 पुराणों की रचना के बाद भी संतुष्ट नहीं होने पर नारद मुनि के मार्गदर्शन में 18 महापुराण के रूप में श्रीमद् भागवत की रचना कर संसार को मोक्ष और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त्र करने का अनूठा कार्य किया l नारद मुनि के पूर्व जन्म में दासी पुत्र होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संतों का सानिध्य करने से ही उन्हें नारद स्वरूप मिल पाया l उन्होंने कुंती प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण की कृपा से ही उत्तरा के गर्भ से राजा परीक्षित का जन्म होने से भागवत में इनका महत्व सभी का कल्याण करने वाला है उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति प्रभु से सुख मांगता है लेकिन कुंती ने श्रीकृष्ण से संसार का दुख मांग कर हमेशा प्रभु के प्रेमाश्रय में रहने का वरदान मांगा l उन्होंने कहा कि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था जिनके समक्ष पहुंचकर चरणा भक्ति मांगने पर पितामह को मोक्ष प्रदान किया l उन्होंने बताया कि कलयुग को पांच स्थान दिए गए हैं जिनमें जुआ, मदिरा, वासना, कसाई, और स्वर्ण प्रमुख है जो भी इनके संपर्क में आता है वह जीवन में निराशा ही पाता है l उन्होंने सनातन धर्म से जोड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि जाति-पाति के भेद से ऊपर उठकर अगर सभी 97 करोड़ हिंदू एक हो जाए तो हमारे धर्म और संस्कृति की जागरूकता में कोई कमी नहीं रहेगी इसके साथ ही हमें शास्त्र और शस्त्र को स्वीकार करना होगा तभी भारतीय संस्कृति सुरक्षित रह पाएगी l कथा संत श्री रमता राम जी के सानिध्य में हो रही है कथा का आयोजन पाइटिया ( माहेश्वरी)परिवार द्वारा आयोजित कि जा रहा है l