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                                            चित्तौड़गढ़। जिले में दो दिन से जारी बेमौसम बरसात के कारण हर कोई प्रभावित हुआ है। विशेष तौर से खेती पर भी असर पड़ा है। एक तरफ जहां, रबी की फसलों की बुवाई हुई, वहां सिंचाई नहीं करनी पड़ेगी। लेकिन काले सोने के रूप में शुमार अफीम की बुवाई पर खासा विपरीत असर डाला है। बुवाई को अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है और बेमौसम बरसात से खेतों में भरे पानी से बीज खत्म हो गए हैं। अब मौसम खुलने के बाद किसानों को एक बार फिर से बुवाई करनी, पड़ेगी, जिसमें लाखों रुपए के नुकसान का अनुमान है।
राजस्थान के कुछ चुनिंदा जिलों में ही अफीम की बुवाई होती है, जिसमें चित्तौड़गढ़ जिला भी शामिल हैं।राजस्थान में सबसे अधिक लाइसेंस भी चित्तौड़गढ़ जिले में हैं। दीपावली से पहले और त्यौहार के बाद किसानों ने खेतों में अफीम की बुवाई कर दी थी। चित्तौड़गढ़ जिले में रविवार शाम से ही मौसम में पलटा खाया है।आसमान में बादल छा गए तथा रिमझिम बरसात का दौर शुरू हुआ, जो रात होने के साथ ही तेज हो गया।सोमवार को भी पूरे दिन बरसात चली और मंगलवार को भी सुबह से ही लगातार बरसात का दौर चल रहा है।कभी तेज तो कभी रिमझिम बरसात हो रही है। ऐसे में किसानों की ओर से अफीम के लिए तैयार किए गए खेतों में पानी भर गया है। अफीम के लिए जो क्यारे (धोरे) बनाए गए थे, उसमें पानी भरा होने के कारण काफी नुकसान पहुंचा है। पानी भरने से अफीम की बुवाई वाले खेतों में बीज ही नष्ट हो गए हैं। अब इन खेतों में अफीम के पौधे बढ़ने की संभावना बिल्कुल भी नहीं है। किसानों को नए सिरे से अफीम की बुवाई करनी पड़ेगी। वहीं जो खाद और बीज का उपयोग किया वह सारा नष्ट होने से किसानों को लाखों रुपए का नुकसान का अनुमान है। वहीं एक बार फिर से उन्हें खाद और बीज दोनों ही खरीदने पड़ेंगे, जिससे उन्हें दोहरा नुकसान होगा।
खेत सूखने के लिए भी करना पड़ेगा इंतजार
चित्तौड़गढ़ जिले में कुल अफीम लाइसेंस के मुकाबले 90% से ज्यादा ने बुवाई कर दी है। वहीं 10% किसानों ही बुवाई से शेष रह गए थे।अब इन्हें बुवाई के लिए खेत सूखने का भी इंतजार करना पड़ेगा। बरसात रुकने के बाद खेत सूखेंगे तब ही किसान बुवाई कर पाएंगे। जो एक बार बुवाई कर चुके हैं उन्हें भी बुवाई की पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा। ऐसे में करीब 20 दिन अफीम की फसल लेट हो जाएगी।
पानी से लबालब हो गए खेतों में क्यारे
चित्तौड़गढ़ जिला अफीम बाहुल्य क्षेत्र है। जिले की सभी पंचायत समितियों में अफीम के लाइसेंस है तथा बुवाई भी हो गई है। चित्तौड़गढ़ के भदेसर उपखंड क्षेत्र के अलावा निंबाहेड़ा के कनेरा, कपासन सभी क्षेत्रों में अफीम के खेतों में नुकसान की सूचना मिल रही है। अफीम के लिए क्यारे तैयार किए गए थे उनमें लबालब पानी भरा हुआ है। कहीं-कहीं तो किसान अफीम के खेत को खाली करने के लिए मोटर लगा कर भी प्रयास कर रहे हैं।
छोटे बच्चों की तरह सहेज कर बड़ी करते हैं अफीम की फसल
ऐसा माना जाता है कि अफीम सबसे ज्यादा नगदी देने वाली फसलों में शुमार है। ऐसे में क्षेत्र में अफीम की फसल को किसान छोटे बच्चों की तरह सहेज कर बहुत ही मेहनत से बड़ा करते हैं। इसके पीछे कारण है की अफीम बुवाई को लेकर हर वर्ष केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से लाइसेंस दिए जाते हैं। किसी कारण से एक बार लाइसेंस कट जाता है तो फिर से उसे अफीम बुवाई का लाइसेंस नहीं मिलता है।
वर्जन...
दो दिनों से चल रही बरसात के कारण अफीम किसानों को नुकसान पहुंचा। बुवाई वाले खेतों में बीज नष्ट हो गए हैं। इससे एक बार पुनः बुवाई करनी पड़ेगी। दीपावली से पहले ही खेत तैयार कर बुवाई की थी। अब पुनः बुवाई करने में समय लगेगा। इस फसल में किसान करीब 20 दिन पीछे पड़ जाएंगे।
मुकेश धाकड़, किसान सुखवाड़ा
इस बरसात का किसानों पर अच्छा और बुरा असर दिखेगा। जहां गेहूं, चना, सरसों की बुवाई हो गई वहां सी सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी। जहां सिंचाई की व्यवस्था नहीं है वहां भी किसान बुवाई कर पाएंगे। वहीं अफीम की जहां बुवाई हो गई, वहां फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। बरसात से बीज खत्म हो गए और एक बार फिर से बुवाई करनी पड़ेगी।
शंकरलाल जाट, कृषि विशेषज्ञ एवं कृषि उप निदेशक उद्यान चित्तौड़गढ़
 
                         
                         
                                                 
                                                     
                                                     
                                                         
                                                         
                                                         
                                                         
                                                        