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काला सोना कहीं जाने वाली फसल की बुवाई पर पड़ा असर
सीधा सवाल। चिकारड़ा। मौसम परिवर्तन के साथ ही हुई बरसात से क्षेत्र में जहां एक और किसानों के चेहरे खिले वही चिंता की लकीरें भी साफ झलक रही थी। रविवार रात्रि 2 बजे के लगभग रिमझिम बारिश के साथ शुरू हुई बारिश मंगलवार शाम 6 तक लगातार बरसती रही । 40 घंटे लगातार बरसाना के बरसने से मवेशियों को खाने-पीने की असुविधा का सामना करना पड़ा वही पक्के मकान की छत भी टपकने लगी है तो कच्चे मकान का तो क्या कहना पानी गिरने से ग्रामीण परेशान हो उठा । खेतों में फसले पानी से भीगने के चलते खराब होने का अंदेशा बरकरार रहा। वही पशुओं के लिए इकट्ठी की हुई कड़बी चारा भी पानी लगने से खराब हो चुका। अफीम किसान की चिंता इस पानी से और बढ़ गई है जिसने अभी तक अफीम भिगोई नहीं है वह लेट हो जाएगा और जिसने भिगो दी है उगने में समस्या पैदा होगी। वही लगातार बरसात के चलते खेतों में पानी भर गया रोड किनारे बने गड्ढे भी भरने के कगार पर है । तो इस बरसात से नदी नालों में पानी की आवक हुई है तो वागन नदी के वेग से बहने पर पानी बांध तक पहुंच चुका ओर गेज में परिवर्तन होता दिखाई दिया। खेतों पर जाने के कच्चे रास्ते तो इस हालत में पहुंच चुके हैं कि जाना भी मुश्किल हो गया। लगातार 40 घंटे बरसात ने बरस कर क्षेत्र में नया सर्दी का मौसम बना दिया है ग्रामीणों को गर्म कपड़े जर्सी टोपा निकालने के लिए मजबूर कर दिया। इस बरसात से किसानों की फसले मंडी में पानी में तैरने लगी । किसान दलीचंद भेरूलाल ने बताया कि इस बरसात से किसानों को नुकसान होने का अंदेशा अधिकांश बना हुआ है। अफीम लाइसेंस वाले किसानों को चिंता सताने लगी है। चना सरसों की फसल को जरूर लाभ मिलने की उम्मीद है। ज्यादा बरसात के चलते खेतों में खड़ी मूंगफली भी उगने के कगार पर पहुंच चुकी है । 40 घंटे से चल रही बरसात ने आम जन जीवन को प्रभावित किया है। प्रभावित मौसम के चलते बाजार में चहल पहल रौनक कम रही । ग्रामीण छाते तिरपाल बर्साति का उपयोग करते नजर आए । आसमान में काले बादल छाने से दिन में ही रात हो गई।