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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम चित्तौड़गढ़ के विशिष्ट न्यायाधीश ने पुलिस की और से दी गई एफआर के संबंध में आरोपी कपासन सीएचसी के प्रभारी चिकित्सक गणपतसिंह के विरूद्ध प्रसंज्ञान लिया है। चिकित्साधिकारी के खिलाफ पर्याप्त आधार मौजूद होने से आदेश देेकर वरिष्ठ चिकित्साधिकारी को न्यायालय में तलब किया है। वहीं इसी मामले में दो जांच अधिकारियों ने एफआर दे दी थी, जबकि एक जांच अधिकारी ने जुर्म प्रमाणित माना था।
पीड़िता नर्सिंग स्टाफ के अधिवक्ता अबरार खान ने बताया कि सीएचसी कपासन में तैनात पीड़िता नर्स नीलम रेगर ने कपासन थाने में रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि 12 अक्टूबर 2019 को चिकित्सालय में इमरजेंसी ड्यूटी पर थी। इस दौरान चिकित्साधिकारी रात करीब 10 बजे शराब के नशे में आया। सहायक कर्मचारी शंभूलाल के मार्फत पीड़िता को गेट पर बुलाया और गाली गलौज कर अभद्र व्यवहार किया। इस मामले में कपासन थाने पर प्रकरण दर्ज करवाया था। इस मामले में जांच अधिकारी दलपत सिंह ने मामले को अदमबकुआ झूठा मानकार एफआर दी थी। पीड़िता केई और से लिखित रिपोर्ट दिए जाने के बाद द्वितीय अनुसंधान अधिकारी शहाना खानम ने जांच की। इसमें उन्होंने जुर्म प्रमाणित पाया। बाद में तृतीय जांच अधिकारी महावीर सिंह राणावत ने भी अनुसंधान किया और मामले को झूठा बताते हुए 2020 में एफआर प्रस्तुत कर दी। इस मामले में पीड़िता द्वारा अपने अधिवक्ता गौरव परमार, अबरार खान, अम्बालाल ओड, गायत्री टेलर के जरिये न्यायालय में प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इस पर सुनवाई करते हुए एससी एसटी कोर्ट के पीठासीन अधिकारी देवेन्द्र सिंह पंवार ने पीड़िता के अधिवक्ताओं के तर्क से सहमत होकर चिकित्सक गणपत सिंह चौधरी के विरूद्ध प्रसंज्ञान लेने के पर्याप्त आधार बताए। साथ ही आरोपी को सम्मन के जरिए न्यायालय में तबल किया है।