2268
views
views
सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। छोटीसादड़ी जैसे छोटे कस्बे से निकलकर सिनेमा और टीवी की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाना आसान नहीं होता, लेकिन मजबूत इरादे और निरंतर मेहनत के बल पर यह सफर तय किया जा सकता है। ऐसा ही सफर तय किया है छोटीसादड़ी निवासी युवा अभिनेता प्रदीप खटीक ने, जो आज सिनेमा और टेलीविजन जगत में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं।
प्रदीप खटीक जल्द ही राजस्थानी ब्रज फीचर फिल्म “अफ़ीम कोठी” में एक महत्वपूर्ण किरदार निभाते नजर आएंगे। स्ट्रिंगआर्ट पिक्चर्स के बैनर तले बनी इस फिल्म का भव्य प्रीमियर 14 दिसंबर को जयपुर के मानसरोवर स्थित गैलेक्सी सिनेमा में आयोजित किया जाएगा। फिल्म सत्ता संघर्ष, इश्क़, ईर्ष्या, गैंगवॉर और तस्करी जैसे सशक्त विषयों पर आधारित है, जिसमें प्रदीप का किरदार कहानी को मजबूती देने वाला माना जा रहा है।
अभिनय के प्रति बचपन से था लगाव
प्रदीप का अभिनय सफर आसान नहीं रहा। सीमित संसाधनों और छोटे शहर की चुनौतियों के बावजूद उन्होंने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया। अभिनय के प्रति बचपन से लगाव रखने वाले प्रदीप ने छोटे मंचों और स्थानीय गतिविधियों से शुरुआत की और लगातार अभ्यास के जरिए अपने हुनर को निखारा।
नामचीन कलाकारों के साथ फिल्मों और प्रोजेक्ट्स में किया काम
टेलीविजन की दुनिया में भी प्रदीप खटीक ने अपनी मजबूत पहचान बनाई है। वे लोकप्रिय टीवी सीरियल “प्यार तूने क्या किया” (सीजन-13) और “दूसरी मां” में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा चुके हैं, जहां उनके अभिनय को दर्शकों की सराहना मिली। इसके साथ ही उन्हें बड़े कलाकारों के साथ काम करने का अवसर भी मिला। प्रदीप ने फरहान अख्तर, राशि खन्ना और तमन्ना भाटिया सहित कई नामचीन कलाकारों के साथ फिल्मों और प्रोजेक्ट्स में काम किया है, जिससे उनके अनुभव और आत्मविश्वास को नई ऊंचाई मिली।
अभिनय को और सशक्त बनाने के लिए प्रदीप ने जयपुर और दिल्ली में दो वर्षों तक रंगमंच भी किया। थिएटर के इस अनुभव ने उन्हें एक संवेदनशील, अनुशासित और परिपक्व कलाकार के रूप में तैयार किया।
उपलब्धियों की बात करें तो प्रदीप खटीक की दो फिल्में जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में नॉमिनेट हो चुकी हैं, जो उनकी मेहनत और प्रतिभा का प्रमाण है।
प्रदीप का मानना है कि छोटे शहर से आना कमजोरी नहीं, बल्कि एक अलग पहचान है।
आज प्रदीप खटीक उन युवाओं के लिए उम्मीद की मिसाल बन चुके हैं, जो सीमित साधनों के बावजूद आगे बढ़ना चाहते हैं। उनका सफर यह संदेश देता है कि अगर मेहनत सच्ची हो और इरादे मजबूत हों, तो छोटीसादड़ी से भी सिनेमा के परदे तक का सफर तय किया जा सकता है।