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सीधा सवाल। कपासन। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश में बताया गया कि आगामी समय से राजस्थान की प्रमुख पर्वत श्रंखला अरावली पर्वतमाला की परिभाषा में आंशिक संसोधन करते हुए कहा कि 100 मीटर ऊंचाई से कम पहाड़ियों को कानूनी सुरक्षा से बाहर रखा जाएगा।उक्त आदेश के जारी होते ही पर्यावरण प्रेमियों में आक्रोश व्याप्त है। संपूर्ण मेवाड़ में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार लगभग 80% पहाड़ियां 100 मीटर से कम ऊंचाई की है जो इस आदेश के बाद कानूनी सुरक्षा से बाहर होने के कारण खनन माफिया के मंसूबों का शिकार हो सकती है। इसी मुद्दे पर कपासन निवासी युवा विधान चास्टा ने अलख जगाते हुए सर्व समाज को एकत्रित कर उपखंड अधिकारी कपासन के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।विधान का मानना है की प्रकृति का संरक्षण हम सभी का प्रथम दायित्व है।पर्यावरणप्रेमी उज्ज्वल दाधीच के अनुसार अरावली पर्वतमाला को जल विभाजक रेखा माना जाता हैं। ऐसे में परिवर्तित परिभाषा से अवैध खनन की घटनाएं शुरू होगी जो हमारे प्राकृतिक संपदा के लिए खतरा है।ज्ञापन के समय पेंशनर समाज के अध्यक्ष राम नारायण शर्मा, नंद लाल बोहरा, पूर्व पालिका अध्यक्ष दिलीप व्यास,भारत विकास परिषद के बादशाह सिंह,बजरंग दल के दिलीप बारेगामा, मुकेश जागेटिया,छोटू वैष्णव, कमल दाधीच, शंकर बारेगामा, मनोज चास्टा, अधिवक्ता अलमास अली, विजय बारेगामा, कृष्णा त्रिपाठी,चिन्मय,अनमोल यश व्यास सहित बड़ी संख्या में जागरूक व्यक्ति मौजूद रहे।