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सरस में टेंडर भ्रष्टाचार का मामला
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। प्रदेश के दो जिलों के किसानों के हित के लिए चलाए जा रहे चित्तौड़गढ़ प्रतापगढ़ दुग्ध उत्पादक संघ के सरस डेयरी संयंत्र में अनियमितता लगातार सामने आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि इसके उलट 3 महीने पहले पदस्थापित हुए राजसमंद के डेयरी एमडी की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई राजस्थान में डेयरी की वित्तीय सलाहकार संस्था आरसीडीएफ के जरिये हुई है। चित्तौड़गढ़ में लगातार मामले सामने आने के बाद भी खुलेआम चल रहे इस भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं होना यह साबित करता है कि यहां भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वालों को ऊपर के स्तर से संरक्षण प्राप्त है। फिर भले ही चित्तौड़गढ़ जिले में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव के बहिष्कार का मामला हो या फिर टेंडर में पंजीकृत अधिकृत वाहनों के स्थान पर दूसरे वाहन चलाने का मामला हो किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। मनमाने तरीके से इस डेयरी के संचालन को लेकर हो रहे किसानों के नुकसान पर कोई कार्रवाई नहीं होना प्रदेश और केंद्र की सरकार की किसान हित की नीति पर भी सीधा प्रहार प्रतीत हो रहा है।
मनमानी शर्तों पर दिए टेंडर, एक पर कार्यवाही एक को संरक्षण
राजस्थान के दो जिलों में समान तरीके से हुए मामलों में एक जिले में कार्यवाही करना और एक जिले में संरक्षण देना जिम्मेदारों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर रहा है। राजसमंद जिले में सरस में आरटीपीपी एक्ट का उल्लंघन करते हुए टेंडर करने को लेकर प्रबंधक संचालक को नोटिस जारी किया गया है। इसके उलट चित्तौड़गढ़ में इसी प्रकार की टेंडर किए गए जिनमे लंबे समय से अनियमित तरीके से काम हो रहा है। भ्रष्टाचार का खेल खुलकर खेला जा रहा है। निर्धारित स्थानों की जगह दूसरे स्थान पर दूध उतारा गया। मोटी कमाई के लिए ठेकेदारों के फायदे के रूट बनाकर टेंडर किए गए जिसमें आरसीडीएफ के नियमों का भी खुला उल्लंघन किया गया इसके बावजूद अब तक कोई जांच नहीं होना इस बात की ओर इशारा कर रहा है, कि ऊपरी स्तर की मिली भगत से इस पूरे खेल का संचालन किया जा रहा है जिस राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है इसलिए एक जिले में आरसीडीएफ कार्रवाई कर रहा है तो वहीं दूसरे जिले में परहेज कर रहा है।
टेंडर प्रक्रिया से लेकर काम होने तक सब में भ्रष्टाचार
चित्तौड़गढ़ डेयरी संयंत्र ऐसा लगने लगा है मानो भ्रष्टाचार का दूसरा नाम बन गया है। चित्तौड़गढ़ में टेंडर प्रक्रिया के दौरान चहेतो को टेंडर देने के लिए मनमाने नियम बनाए गए। लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदारों ने शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की नतीजा वर्क आर्डर जारी कर दिए गए। उसके बाद लगातार लंबी दूरी के टेंडर के नाम पर सस्ता दूध लेकर ठेकेदारों द्वारा मनमानी करने की जानकारियां सामने आने लगी इसके बावजूद किसी प्रकार की जांच नहीं होना यह साबित करता है, कि इस पूरे कुएं में भ्रष्टाचार की भांग खुली हुई है जिसका फायदा सब उठा रहे हैं।
आखिर क्यों चुप है जिम्मेदार!
इस पूरे मामले में एक ओर जहां भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है ,वहीं दूसरी ओर इस पूरे भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं होना जिम्मेदारों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करता है। अभी तक किसी तरह की जांच नहीं होना यह साबित करता है कि इस पूरे मामले में जिम्मेदारों की भूमिका भी संदिग्ध है। ऐसा लगने लगा है कि राजनीतिक संरक्षण में चल रहे इस खेल में भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे दी गई है। जहां कुछ लोग फायदा उठा रहे हैं तो कुछ लोग चुप्पी साधकर मौन समर्थन दे रहे हैं।