views

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। हाल ही में परिवहन विभाग में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। पुराने वाहनों को बैकलॉग कर नए वाहनों को जारी करने का मामला सामने आया था। इसके बाद पूरे प्रदेश में अंदरखाने परिवहन विभाग की ओर से जांच करवाई जा रही है। इसी में चित्तौड़गढ़ प्रादेशिक परिवहन कार्यालय भी के कार्मिक भी इसकी जद में आते दिख रहे हैं। परिवहन विभाग के उच्च अधिकारियों के निर्देश पर प्रादेशिक परिवहन अधिकारी ने चित्तौड़गढ़ में इसकी जांच की और रिपोर्ट भी तैयार की है। इसमें प्रारंभिक रूप से कुछ मामलों में फर्जीवाड़ा होना सामने आया है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ कि कितने नंबरों को फर्जीवाड़े से बैकलॉग किया गया। फिलहाल विभाग की ओर से प्रादेशिक परिवहन अधिकारी ने जांच रिपोर्ट बना कर मुख्यालय भेजी है। साथ ही विभागीय जांच भी जारी है। मुख्यालय के निर्देशों पर अग्रिम कार्रवाई होगी। लेकिन अंदरखाने चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग में भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
जानकारी में सामने आया कि परिवहन विभाग में पुराने वाहनों को बैकलॉग कर उन्हें नए वाहनों पर आवंटित करने का मामला सामने आया था। इसमें परिवहन विभाग के कार्मिकों ने फर्जीवाड़ा किया था। परिवहन विभाग जयपुर प्रथम कार्यालय में इसका खुलासा हुआ था। इसके बाद परिवहन विभाग ने सख्ती दिखाई तथा तीन डीटीओ को निलंबित कर दिया था। इसके बाद मुख्यालय के अधिकारियों ने गंभीरता दिखाते हुए पूरे प्रदेश में इसकी जांच के निर्देश दिए। मुख्यालय के निर्देशों की पालना में चित्तौड़गढ़ प्रादेशिक परिवहन अधिकारी नेमीचंद पारीक की ओर से भी जांच करवाई गई। वर्ष 2018 से पहले के नंबरों पर अब तक यह जांच होना सामने आया है। करीब तीन से चार दिन तक विभाग के अधिकारी और कर्मचारी रिकॉर्ड खंगालते दिखे। इसमें सामने आया कि चित्तौड़गढ़ जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय से करीब 130 नंबर तथा भीलवाड़ा जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय से 170 नंबर बैकलॉग किए गए थे। इसमें सभी मामलों में फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है। लेकिन कुछ मामलों में गलत होना सामने आया है। इस पर एक रिपोर्ट प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कार्यालय की ओर से बना कर मुख्यालय भेजी गई है। अगर जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारियों की मिली भगत सामने आती है तो नियमानुसार कार्रवाई होगी। फिलहाल स्पष्ट नहीं हुआ कि कितने मामलों में फर्जीवाड़ा कर गलत तरीकों से नंबर आवंटित किए हैं। वही परिवहन विभाग में हुए इस तरह के अलग ही फर्जीवाड़े को लेकर चर्चाओं का दौर भी जारी है। अंदरखाने यह भी चर्चा है कि लाखों रुपए लेकर वीआईपी दिखने वाले इन नंबरों को आवंटित किया गया था। इसमें परिवहन विभाग में कार्यरत स्थाई एवं ठेकाकर्मी भी शामिल हो सकते हैं, जिसकी जांच जारी है। इस संबंध में प्रादेशिक परिवहन अधिकारी नेमीचंद पारीक ने बताया कि मुख्यालय के निर्देश पर बैकलॉग मामले में रिकॉर्ड की जांच करवाई जा रही है। एक रिपोर्ट बना कर भी भेजी गई है। चित्तौड़गढ़ में 130 तो भीलवाड़ा में 170 नंबर बैकलॉग होना सामने आया है। इनमें कुछ तो सही आवंटित किए गए हैं लेकिन कुछ गलत पाए गए हैं। मुख्यालय के निर्देशों पर इस मामले में आवश्यक कार्रवाई होगी।