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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। 65वें स्थापना दिवस के पूर्व-कार्यक्रम में कैप्टन शालिनी सिंह ने स्कूल के शंकर मेनन सागा सभागार में आयोजित हुए एक विशेष कार्यक्रम के तहत अपने साहस और दृढ़ संकल्प की कहानी से कैडेटों को प्रेरित किया। स्कूल के प्राचार्य कर्नल अनिल देव सिंह जसरोटिया एवं उप प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल पारुल श्रीवास्तव ने कैप्टन शालिनी सिंह को स्कूल परिवार की तरफ से स्मृति चिन्ह भेंट किया। स्कूल के पूर्व छात्रों ने भी कैप्टन शालिनी सिंह को शॉल ओढ़कर सम्मानित किया।
स्कूल के जनसंपर्क अधिकारी बाबूलाल शिवरान ने बताया कि सशक्त महिला की सच्ची परिभाषा, कैप्टन शालिनी सिंह, साहस और शक्ति की कहानी हैं। किशोरावस्था में विवाहित और 23 साल की कम उम्र में विधवा हो गईं, शालिनी ने कई मुश्किलों का सामना किया है और लगातार खुद को नया रूप देकर दुनिया भर की महिलाओं के लिए एक आदर्श बन गई हैं। उन्होनें कैडेट्स से कहा कि कैसे प्रतिकूलताएँ छिपे हुए अवसर बन सकती हैं। अनुभव की कमी या ऐसे शारीरिक रूप से कठिन माहौल का पूर्व अनुभव न होने के बावजूद, इसे पार किया जा सकता है। उन्होनें कैडेट्स से कहा कि असफलता अवश्यंभावी है, लेकिन इससे आपको रुकना नहीं चाहिए। अपनी गलतियों से सीखें, खुद को संभालें और आगे बढ़ते रहें। खुद पर विश्वास रखें आप अविश्वसनीय चीजें करने में सक्षम हैं। आत्म-संदेह को खुद पर हावी न होने दें। अपनी क्षमता पर विश्वास रखें और उसे प्रकट होते हुए देखें। अपने समय का प्रभावी प्रबंधन करना सीखें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक केंद्रित वातावरण बनाएँ।
2017 में, उन्हें मिसेज इंडिया क्वीन ऑफ सब्सटेंस का ताज पहनाया गया। वह एकल अभिभावक श्रेणी में सौंदर्य प्रतियोगिता (अमेरिका में मिस अर्थ) में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली भारतीय भी हैं। इसके अलावा, उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है, जिनमें भारत सरकार द्वारा वीर नारी सम्मान, 2018 का एपिक पुरस्कार, लायंस क्लब द्वारा प्रशस्ति पत्र और ऑल इंडिया अचीवर्स पुरस्कार शामिल हैं। उन्होनें कैडेट्स द्वारा पूछे गए सवालों के उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।
