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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़ । राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र चित्तौड़गढ़ द्वारा कृषि सखी एवं सीआरपी के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (4-8 अगस्त 2025) का आयोजन किया गया। केंद्र की कार्यक्रम सहायक दीपा इंदौरिया ने बताया की इस प्राकृतिक खेती के पांच दिवसीय प्रशिक्षण में राजविका चित्तौड़गढ़ जिले की 34 कृषि सखियों ने भाग लिया। उद्घाटन सत्र में अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत उद्बोधन किया।
कार्यक्रम के समापन समारोह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिनेश कुमार जागा संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार ने कहा कि प्राकृतिक खेती रसायन-मुक्त कृषि प्रणाली है, जो भारतीय परंपराओं एवं आधुनिक कृषि-पारिस्थितिकी सिद्धांतों पर आधारित है। यह खेती फसलों, पेड़ों व पशुधन को एकीकृत कर मृदा व पर्यावरण संरक्षण में सहायक है।
डॉ. शंकर लाल जाट, उपनिदेशक (उद्यान) चित्तौड़गढ़ ने बीजामृत, जीवामृत जैसे प्राकृतिक घटकों की जानकारी दी एवं कृषि सखियों को आहवान् किया कि प्राकृतिक खेती के बारे में किसानों को बताएं एवं उनकी आय दुगनी करावे। डॉ. रमेश चंद्र धाकड़ सहायक निदेशक, कृषि विस्तार, चित्तौड़गढ़ एवं जिला परियोजना प्रबंधक राजविका चित्तौड़गढ़ ने कहा की सभी कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती पर किसानों को प्रशिक्षण देना है एवं उनके खेतों में प्राकृतिक खेती संबंधित सभी समस्याओं का समाधान करना है और इसी तरीके से किसानों को वर्तमान में हो रही जहरीले खेती से मुक्त करना है।
केंद्र के प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण प्रभारी संजय कुमार धाकड़ ने कहा की सभी कृषि सखियों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण में कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र के विषय विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षकों द्वारा प्राकृतिक खेती पर व्याख्यान दिया गया एवं केंद्र की प्राकृतिक खेती पर प्राकृतिक घटक जीवामृत, बीजामृत, दसपर्णी आदि पर भी प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही सीताफल उत्कृष्टता केंद्र, समन्वित कीट प्रबंधन प्रयोगशाला एवं केंद्र के प्राकृतिक खेत इकाई का भ्रमण कराया गया। कार्यक्रम में केंद्र के शंकर लाल सेन, घीसु लाल मीणा राजू लाल गुर्जर एवं प्राकृतिक खेती प्रशिक्षक प्रहलाद उपाध्याय, कृषि पर्यवेक्षक पार्वती वैष्णव, जगदीश धाकड़, इरफान शाह आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में संजय कुमार धाकड़ ने पधारे हुए अतिथियों एवं सभी प्राकृतिक खेती की प्रशिक्षित सखियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।