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सीधा सवाल। फतेहनगर। लगभग 17 साल पुराने भूमि विवाद में नगरपालिका फतेहनगर-सनवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल पाई। सुप्रीम कोर्ट ने नगरपालिका की ओर से दायर स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) को खारिज करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश की पालना 14 दिन में करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि आदेश की अवहेलना को अवमानना माना जाएगा। साल 2008 में ग्राम सनवाड़ के खसरा नंबर 1036 और 1037 से 13,237 वर्ग फीट जमीन नगरपालिका ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर क्वार्टर निर्माण के लिए ली थी। उस समय अपीलार्थियों को आश्वासन दिया गया था कि उन्हें बदले में आबादी भूमि फतेहनगर-सनवाड़ रोड पर दी जाएगी। लेकिन जमीन देने के बजाय नगरपालिका ने बाद में एक प्रस्ताव पारित कर देने से मना कर दिया। इसके खिलाफ अपीलार्थियों ने अधिवक्ता कल्पतरु त्रिपाठी के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट दायर की। एकलपीठ ने 6 नवंबर 2023 को नगरपालिका को जमीन देने के आदेश दिए, लेकिन जमीन की लोकेशन स्पष्ट नहीं होने से मामला डिवीजन बेंच में गया। 21 मई 2025 को राजस्थान हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच ने अपील स्वीकार करते हुए नगरपालिका को खसरा नंबर 1219, सनवाड़-फतेहनगर रोड किनारे समकक्ष भूमि आवंटित करने का आदेश दिया। साथ ही, अपीलकर्ताओं को लंबे समय से हो रहे उत्पीड़न को देखते हुए नगरपालिका पर 5 लाख रुपये का जुर्माना (कॉस्ट) भी लगाया और 45 दिन में जमीन का आवंटन करने के निर्देश दिए।
नगरपालिका ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2025 को सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी और कहा "लागत (कॉस्ट) के मुद्दे पर भी हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। यदि हाई कोर्ट के आदेश का पालन अब तक नहीं हुआ है, तो आज से दो सप्ताह के भीतर इसे लागू किया जाए। अन्यथा प्रतिवादी पक्ष आवश्यक कार्रवाई कर सकेंगे।" सुप्रीम कोर्ट में अप्रत्यर्थी राजकुमार कोठारी, शिवानी कोठारी एवं मयंक कोठारी की ओर से अधिवक्ता रवि भंसाली एवं कल्पतरु त्रिपाठी ने पैरवी की।
अब नगरपालिका के सामने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। यदि 14 दिन में आदेश की पालना नहीं हुई तो अवमानना की कार्रवाई तय मानी जा रही है।