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लंगरों में सेवादारों द्वारा की जा रही श्रद्धालुओं की सेवा
सीधा सवाल। बेगूं। शारदीय नवरात्र महोत्सव के चलते विंध्याचल पर्वत की गोद में स्थित प्राचीन व प्रसिद्ध जोगणिया माता शक्तिपीठ में आस्था का समंदर उमड़ पड़ा है। मां जोगणिया के दर्शन के लिए हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा कर मंदिर पहुंच रहे हैं। दूर-दराज गांवों और कस्बों से महिलाएं, पुरुष, युवा और बुजुर्ग बड़े उत्साह के साथ माता की जय-जयकार करते हुए यात्रा कर रहे हैं। पूरे मार्ग में “जय माता दी” और “जोगणिया माता की जय” के जयकारों से वातावरण गूंजायमान हो रहा है। यह नजारा श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रहा है। यात्रा मार्ग में श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए भक्तों द्वारा दर्जनभर स्थानों पर लंगर लगाए गए हैं। इन लंगरों में यात्रियों को भोजन-प्रसाद, नाश्ता और शीतल जल उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही रात्रि विश्राम के लिए आवासीय व्यवस्था भी की गई है, जिससे थके हुए यात्री आराम कर सकें। संस्थान अध्यक्ष सत्यनारायण जोशी ने बताया कि किसी भी श्रद्धालु को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए संस्थान द्वारा दिन-रात विशेष गाड़ियों की भी व्यवस्था की गई है। बीमार या थके हुए यात्रियों को तुरंत गाड़ियों की सहायता से मंदिर तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नवरात्र महोत्सव के दौरान सेवा कार्य में भक्तों की सक्रिय भागीदारी जोगणिया माता की कृपा का ही परिणाम है। नवरात्र महोत्सव का विशेष आकर्षण तब देखने को मिलता है जब विभिन्न गांवों से श्रद्धालु माता का ध्वज लेकर पैदल यात्रा प्रारंभ करते हैं। यात्रा मार्ग में ढोल-नगाड़ों की गूंज और भक्ति गीतों की स्वर लहरियां श्रद्धालुओं को ऊर्जा प्रदान करती हैं। मंदिर पहुंचकर वही ध्वज माता रानी को अर्पित किया जाता है। यह परंपरा वर्षों से आस्था और भक्ति की अनूठी मिसाल बनी हुई है, जिसे श्रद्धालु आज भी पूरे समर्पण और उत्साह के साथ निभा रहे हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के चलते मंदिर परिसर और आसपास का क्षेत्र मेले का रूप ले चुका है। जगह-जगह दुकानें, झूले और धार्मिक सामग्री की बिक्री हो रही है। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग इस महोत्सव को आध्यात्मिकता और आनंद के साथ मना रहे हैं। नवरात्र के दौरान जोगणिया माता शक्तिपीठ में होने वाली यह भीड़ न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता, सेवा और सहयोग की अद्भुत परंपरा को भी जीवंत करती है।