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चित्तौड़गढ़। आंकड़ों की बात की जाए तो चित्तौड़गढ़ जिले में औसत से अधिक बरसात हुई है। लेकिन फिर भी दो दर्जन से अधिक जलाशय अब भी रीते हैं। 128 प्रतिशत बरसात के बाद भी 29 बांध एवं तालाब खाली पड़े हुवे हैं। ऐसे में जो जलाशय खाली हैं उन क्षेत्रों में आगामी गर्मी में पानी का तो संकट रहना ही है, खेती में भी संकट रहेगा।
इस वर्ष चित्तौड़गढ़ जिले में मानसून काफी लंबे समय तक चला और सितम्बर के दूसरे पखवाड़े में भी बरसात हुई है। अब मानसून पूरी तरह से चला गया है। अब मानसून की बरसात होने की संभावनाएं नहीं के बराबर हैं। ना ही मौसम विभाग इसे लेकर कोई संभावना जता रहा है। जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष जिले के औसत के मुकाबले 128 फीसदी बरसात हुई है। इसके बावजूद डूंगला तहसील में स्थित वागन बांध, कपासन उपखंड मुख्यालय पर स्थित तालाब, भदेसर का सांवलिया सरोवर बांध सहित जिले के 29 बांध रीते पड़े हुवे हैं। जिले के बस्सी, निंबाहेड़ा, बेगूं, भैंसरोड़गढ़, गंगरार में करीब एक हजार एमएम तक बरसात हुई है। अच्छी बरसात से गंभीरी, घोसुंडा, मातृकुंडिया सहित 43 बांध ओवरफ्लो हो गए। लेकिन जिन तहसील क्षेत्रों में कम बरसात हुई है वहां सिंचाई के पानी के साथ ही पीने के पानी का भी संकट रहेगा।
बिखरी हुई बरसात से खाली रहे जलाशय
जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता राजकुमार शर्मा ने बताया कि इस वर्ष की मानसून की बरसात अपेक्षाकृत अच्छी रही है। जिले के कुछ क्षेत्रों में बिखरी हुई बरसात है। निंबाहेड़ा, बेगूं, बस्सी, गंगरार क्षेत्र में तो औसत से ज्यादा बरसात हुई और जलाशय भी लगभग सारे भर गए। कपासन व भूपालसागर क्षेत्र की विकट स्थिति है। इन क्षेत्र के बांध में पानी की आवक नहीं हुई है। जिले में कुल 96 बांध हैं। इसमें से 43 बांध शत प्रतिशत भर गए। 29 बांध पूर्ण रूप से खाली है। ऐसे बांध भी हैं, जिनमें कुछ में 50 तो कुछ में 70 प्रतिशत पानी भरा है। लेकिन कपासन और भूपालसागर में पानी का बहाव नहीं चलने से जलाशयों में पानी की आवक नहीं हुई।
डेड पानी से भी रिचार्ज होते हैं पेयजल स्त्रोत
अधिशासी अभियंता शर्मा ने बताया कि अगर हमारे पास बांध में पानी होता है तो उससे सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है।पेयजल के मामले में जिन जलाशयों में हम शून्य बता रहे हैं उसमें नहर के सील लेवल को माना जाता है। यह पानी डेड स्टोरेज होता है और हमारे काम का नहीं होता। इस डेड स्टोरेज पानी से भी पेयजल स्त्रोत रिचार्ज रहते है। पेयजल की समस्या नहीं आती। फिर भी पेयजल की समस्या आती है तो प्रशासन द्वारा टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की जाती है।
डूंगला में हुई सबसे कम बरसात
अधिशासी अभियंता शर्मा ने बताया कि जिले में सबसे कम बरसात बड़ीसादड़ी विधानसभा केे डूंगला में 666 एमएम दर्ज की है। इसके अलावा गंगरार में 1063, राशमी में 761, कपासन में 722, बेगूं में 984, निंबाहेड़ा में 1347, भदेसर में 942, भैंसरोड़गढ़ में 1172, बस्सी में 1378 तथा भूपालसागर उपखंड में 878 एमएम बरसात दर्ज की है।