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सीधा सवाल। बिनोता। करीब 1300 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान अंबे माता का मंदिर नवरात्रि में आस्था और उत्सव का केंद्र बना हुआ है। घने जंगलों के बीच स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर लगभग 1200 साल पुराना बताया जाता है। क्षेत्र में इसे ‘पानी की देवी’ के रूप में पहचान मिली हुई है। मान्यता है कि जब कोई व्यक्ति नया कुआं या ट्यूबवेल खुदवाता है तो वह मंदिर से मिट्टी लेकर जाता है। जिस स्थान से फूल गिरते हैं, वहां पानी मिलने की पूरी संभावना रहती है। यही वजह है कि यह धाम श्रद्धालुओं की अटूट आस्था से जुड़ा है।
पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक चंद कृपलानी के प्रयासों से करीब 40 लाख रुपए की लागत से पहाड़ी पर 850 मीटर लंबी सड़क बनाई गई थी। वहीं, पूर्व सरपंच कोमल देवी पुखराज चपलोत के कार्यकाल में 10 लाख रुपए से गार्डन व चारदीवारी का निर्माण हुआ। ग्राम पंचायत पिछले छह साल से यहां रावण दहन कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
नवरात्रि में मंदिर परिसर में गरबा पंडाल सजाया गया है। बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ताओं द्वारा करीब 50 हजार बल्बों से विद्युत सजावट की गई, जिससे पूरी पहाड़ी जगमगा उठी। गार्डन में 11 आकर्षक सेल्फी प्वॉइंट बनाए गए हैं, जहां युवा खूब आनंद ले रहे हैं।
भाजपा पश्चिम मंडल अध्यक्ष राजेंद्र सिंह शक्तावत और प्रतिनिधि शौकीन चपलोत ने बताया कि गत वर्ष निंबाहेड़ा विधायक ने यहां विद्युतीकरण की घोषणा की थी, जिसे हाल ही में पूरा कर दिया गया। पहाड़ी पर जाने वाले मार्ग पर विद्युत पोल व लाइटें लगा दी गई हैं।
रात्रि के समय पहाड़ी से अद्भुत नजारा दिखाई देता है। यहां से 25 से 30 किलोमीटर दूर स्थित आदित्य बिड़ला, वंडर, जेके और विक्रम सीमेंट फैक्ट्रियां भी साफ दिखाई देती हैं। आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजन और गरबा का आनंद लेने पहुंच रहे हैं।