views
सीधा सवाल। चिकारड़ा। जेतपुरा गांव में नवरात्रि महोत्सव का समापन इस बार भी अनूठी परंपरा के साथ हुआ। गुरुवार को ‘नोरता उठने’ के साथ ही ग्रामीणों ने पांच दशक से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए एडेला माताजी मंदिर परिसर में 6 से 8 क्विंटल दूध अर्पित किया। इसी दूध की खीर बनाकर सामूहिक रूप से ग्राम के हजारों ग्रामीणों सहीत उपस्थित जन को प्रसाद वितरित किया गया। मान्यता है कि नवरात्रि की दशमी तिथि पर कोई भी ग्रामीण अपने मवेशियों का दूध न तो बाजार में बेचता है और न ही घर पर उपयोग करता है। पूरा दूध माताजी को अर्पित कर खीर बनाई जाती है, जिसे ग्रामीण भोग के रूप में ग्रहण करते हैं। इस दिन घरों में अन्य भोजन नहीं बनता, सिर्फ खीर का ही प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
दशमी तिथी पर सरवर में माताजी का विसर्जन
गुरुवार सुबह ग्रामीणों ने धूमधाम से माताजी को सरवर पहुंचाया। इस दौरान महिलाएं मंगल गीत गाती हुई आगे बढ़ रही थीं, जबकि बालिकाएं जवारे लिए चल रही थीं। सरवर पहुंचकर भोपा ने जमाने को लेकर भविष्यवाणी की। माताजी के विसर्जन के दौरान आशीर्वाद लेने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी।
भजन संध्या में ख्यातमान कलाकारों ने बांधा समा
नवरात्र महोत्सव के दौरान नौ दिनों तक गरबा, पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा। बुधवार रात समापन अवसर पर भव्य भजन संध्या हुई, जिसमें नारायणलाल गाडरी, रतन गुर्जर, ओंकार मेनारिया और शम्भूलाल गुर्जर ने भजनों की प्रस्तुतियां दीं। एडेला माता मंदिर को आकर्षक सजावट और रोशनी से सजाया गया था। समापन अवसर पर हवन-शांति यज्ञ का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया। गांव के नारायणलाल गाडरी, दलीचंद गुर्जर व श्यामलाल ने बताया कि परंपरा के निर्वहन में ग्रामीणों की विशेष भागीदारी रही। आयोजन में दलीचंद गुर्जर, रामलाल गुर्जर, जयसिंह गुर्जर (पूर्व सरपंच), मोहनलाल मेनारिया, भूरालाल मेनारिया, प्यारेलाल मीणा, कालूराम गुर्जर सहित एक हजार से अधिक ग्रामीण मौजूद रहे।