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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भारत की विशिष्ट ब्लैक कैट कमांडो इकाई राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) द्वारा देशभर में आयोजित आतंकवाद-रोधी अभ्यास “एक्सरसाइज़ गांडीव-VII” का सफल आयोजन चित्तौड़गढ़ में किया गया। यह व्यापक अभ्यास 3 और 4 अक्टूबर को वाराणसी, चित्तौड़गढ़, पुणे और जम्मू में एक साथ संपन्न हुआ। इसका उद्देश्य संकट प्रतिक्रिया और सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय क्षमताओं का परीक्षण करना था।
अभ्यास के तहत चित्तौड़गढ़ जिले के रेलवे स्टेशन, कलेक्ट्री चौराहा, सैनिक स्कूल, मंडफिया स्थित सांवलिया सेठ मंदिर और रावतभाटा के आरएपीपी सहित संवेदनशील स्थानों पर आतंकवादी हमले, बंधक मुक्ति और विस्फोटक निष्प्रभावीकरण के परिदृश्यों का यथार्थ अनुकरण किया गया।
जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी ने बताया कि “गांडीव-VII” का मुख्य उद्देश्य संभावित आतंकवादी खतरों के प्रति त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है। इस दौरान जिला पुलिस, एटीएस/एसओजी राजस्थान, सीआईएसएफ आरएपीपी यूनिट और जिला प्रशासन प्रथम प्रतिक्रिया इकाई के रूप में शामिल रहे, जबकि एनएसजी ने अंतिम प्रतिक्रिया इकाई के रूप में भूमिका निभाई।
एएसपी सरिता सिंह, जो इस अभियान की नोडल अधिकारी रहीं, ने बताया कि अभ्यास में आतंकवाद-रोधी अभियान, बंधक मुक्ति, आईईडी निष्प्रभावीकरण और आपात स्थितियों में उच्चाधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रत्येक परिदृश्य के लिए अलग रणनीतियाँ अपनाई गईं ताकि वास्तविक स्थितियों में भी उन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
अभ्यास के दौरान हताहत प्रबंधन, यातायात नियंत्रण, बचाव और चिकित्सा सहायता जैसी गतिविधियों का भी सफल प्रदर्शन किया गया। कलेक्ट्री चौराहा और रेलवे स्टेशन पर एनएसजी व स्थानीय पुलिस ने संयुक्त रूप से त्वरित कार्रवाई कर बंधक मुक्ति व घायलों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने का मॉक ऑपरेशन किया।
गौरतलब है कि एनएसजी की स्थापना वर्ष 1984 में आतंकवाद और अपहरण जैसी घटनाओं से निपटने के लिए एक संघीय आतंकवाद-रोधी बल के रूप में की गई थी। एनएसजी के पास विशेष सर्जिकल कमांडो यूनिट्स हैं जो आतंकवादी खतरों के साथ-साथ वीवीआईपी सुरक्षा का भी कार्य संभालती हैं।
एसपी मनीष त्रिपाठी ने एनएसजी टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के अभ्यास से जिले की सुरक्षा व्यवस्थाओं को सशक्त करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि अभ्यास से मिले अनुभवों और सुझावों को भविष्य में लागू किया जाएगा ताकि किसी भी आपात स्थिति में बेहतर और समन्वित प्रतिक्रिया दी जा सके।