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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। चातुर्मास का समापन हुआ चातुर्मास समाप्ति के बाद एक दिवसीय प्रवचन एवं भजन कार्यक्रम का आयोजन जागेटिया परिवार द्वारा अपने प्रतिष्ठान श्रीजी टाइल्स एवं स्टोन आजोलिया का खेड़ा पर आयोजित किया गया l कार्यक्रम में संत दिग्विजय राम जी ने कहा कि मनुष्य वह सोचता है जो वह करना चाहता है लेकिन होता है जो वह (ईश्वर) चाहता है अतः अपने राम पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए जिस प्रकार हम यात्रा के दौरान पायलट पर आंख मूंद कर विश्वास करते हैं उसी प्रकार का विश्वास हमें अपने ईष्ट पर करना चाहिए l संत ने कहा कि सत्संग ईश्वर की मस्ती के लिए होता है अतः व्यक्ति को जीवन में सत्संग व भजन का आनंद लेना चाहिए जितना विवेक व चतुराई व्यक्ति अपने धंधे में करता है उतना ही विवेक उसको ईश्वर भक्ति में लगाना चाहिए मानव जीवन ईश्वर की सबसे बड़ी देन है इसमें व्यक्ति को भजन ,भक्ति एवं परोपकार करना चाहिये l परोपकार करने से व्यक्ति को आंतरिक आनंद प्राप्त होता है भक्ति करना सरल नहीं होता है जो व्यक्ति भक्ति करता है यह संसार सदैव उसकी निंदा करता है जबकि बुराई करने वाले व्यक्ति की कोई निंदा नहीं करता भक्ति करने वाले व्यक्ति को अपने इश्वर पर पूर्ण निष्ठा पर विश्वास रखना चाहिए जिससे उसका लोक व परलोक दोनों सुधर जाता है l सत्संग के दौरान संत श्री रमता राम जी एवं कई भक्तगण उपस्थित थे।