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सीधा सवाल। चिकारड़ा। शरद पूर्णिमा के अवसर पर कस्बे सहित क्षेत्र में धवल चांदनी में 10 क्विंटल की खीर बनाकर प्रसाद के रूप में वितरण किया गया । कस्बे के सांवलिया जी चौराहा स्थित चमत्कारी हनुमान जी के साथ शिव पार्वती परिवार मंदिर पर 2.50 क्विंटल खीर का प्रसाद अलग-अलग रूप में साबूदाने के साथ चावल धवल चांदनी में रख कर 12 बजे प्रसाद के रूप में वितरण किया गया। वही गुर्जर मंदिर, जाट मोहल्ला स्थित मंदिर, ब्राह्मणों के मंदिर, अग्रवाल मोहल्ला स्थित सत्यनारायण मंदिर शीतला माता मंदिर आकोला रोड हनुमान मंदिर के साथ अन्य मंदिरों पर यह प्रक्रिया अपनाई गई जिसमें सेकड़ो ग्रामीणों ने लाभ लिया। इस मौके पर भजन संध्या का आयोजन भी हुआ। यहां यह बतादे की शरद पूर्णिमा वह रात है जो जो पृथ्वी के सबसे निकट होती है। इसके साथ ही आध्यात्मिक रूप से सबसे समृद्ध रातों में गिनी जाती है। वही आशीर्वाद समृद्धि और पुनर्जन्म रात के रूप में मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है । इस दिन मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था तथा इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती है इसके साथ चंद्र देव भी अपने पूरे रूप में होते है जिसके चलते इसकी पूजा का महत्व है। वही मा के साथ चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए सफेद मिष्ठान का भोग लगाया जाता है । यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल मिल जाता है इसके साथ ही शरद पूर्णिमा यानी की मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव पर उन्हें उनकी प्रिय खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है। इस मौके पर मंदिर पुजारी ,ट्रस्टी, ग्रामीण महिला पुरुष बालक बालिकाएं उपस्थित थे।