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चित्तौड़गढ़। सरकार के सेवा नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अक्षम व्यक्ति को कार्य ग्रहण नहीं कराया जा सकता लेकिन जिले के एक राजकीय स्कूल में ऐसा मामला सामने आया है जहां लम्बे समय से गंभीर बीमार चल रहे शिक्षक को अवैधानिक रूप से कार्य ग्रहण कराने का आरोप लगा है। इस मामले में शिक्षा मंत्री को शिकायत की गई है। वहीं शिकायतकर्ता ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कार्मिकों पर मिली भगत कर राजकोष को हानि पहुंचाने के आरोप लगाए है। अब इस मामले चल रही जांच भी लीपापोती का आरोप लगाया है। शिक्षा मंत्री को दी शिकायत के अनुसार गत दिनों जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक के तहत आने वाले कार्मिकों को नियम विरूद्ध कार्य ग्रहण करवाया गया है। शिकायत में बताया कि नारायणलाल जाट अध्यापक लेवल-1 जो कि सितम्बर 2014 से लगातार अनुपस्थित है और विद्यालय में नहीं आया है उसी के फर्जी हस्ताक्षर कर लम्बी अवधि के बाद कार्यवाहक प्रधानाध्यापक रेखा सुथार, व्याख्याता ओमप्रकाश आचार्य और पीइओ रूचिका त्रिपाठी पर मिली भगत का आरोप लगाया है। शिकायत में बताया कि शिक्षक नारायण लाल जाट दुर्घटना के कारण लगभग कोमा में है और चल फिर पाने में अक्षम है। बड़ी बात यह है कि न तो वे कार्य ग्रहण करने के लिए उपस्थिति देने के लिए आए और न ही हस्ताक्षर करने में समर्थ है। लेकिन उनके घर जाकर उपस्थिति रजिस्टर को वहां ले जाकर कार्यग्रहण की औपचारिकता कर ली।उपस्थिति पंजिका में कार्य ग्रहण करवाया गया। वहीं शिक्षक 2014 में मानसिंहजी का खेड़ा विद्यालय में कार्यरत था और 17 जुलाई को बिना विद्यालय से कार्य मुक्त किए उनको आदेशों के आधार पर कार्य ग्रहण करवाया गया है। शिकायतकर्ता ने पूरे मामले की जांच करने की मांग की है और आरोप लगाया है कि अधिकारियों और शिक्षकों ने राजकोष को हानि पहुंचाने का गंभीर कृत्य किया है। इधर, शिकायतकर्ता ने बताया कि गंभीर बीमार व्यक्ति को 11 साल बाद स्वस्थ बता कर सालेरा विद्यालय में उर्दू लेवल-2 के पद पर नियुक्ति दे दी, जबकि इस विद्यालय में उर्दू लेवल-2 का कोई पद ही नहीं है। इस मामले में ध्यान आकर्षण होने पर संशोधित आदेश निकालकर लेवल-1 के पद पर पदस्थापित कर दिया गया। बताया जाता है कि विद्यालय की कार्यवाहक संस्था प्रधान रेखा सुथार ने संबंधित के घर जाकर उपस्थिति रजिस्टर पर औपचारिकता पूरी कर ली। आरोप है कि जो व्यक्ति हस्ताक्षर नहीं कर सकता वह स्वस्थ होकर अध्यापक कैसे कर सकता है? जानकारी है कि इस मामले में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने विभाग के उच्चाधिकारियों को शिकायत दी तो आनन-फानन में जांच करवाई गई। जांच पूर्व में निलंबित रहे अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी शंभूलाल लखारा को दी गई और उन्होंने लीपापोती कर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इससे कोई मामला उजागर नहीं हो पाया। इधर विभाग के उच्चाधिकारियों ने शिक्षक नारायण लाल की प्रतिनियुक्त उच्च माध्यमिक आजोलिया का खेड़ा में ही कर दी है जो पूरे मामले को संदिग्ध बना रहा है।