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पुलिस ने छह घंटे में छोड़ा, पहले पेश की थी एफआर
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। पोटला के पूर्व सरपंच कालूलाल जाट और उसके पुत्र सत्यनारायण जाट और एक अन्य आरोपी के विरूद्ध न्यायिक मजिस्ट्रेट मंडफिया ने पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई एफआर को गलत मानते हुए अभियुक्त का विचारन करने का आदेश दिया है। वहीं जरिए वारंट तलब करने के आदेश दिए है।
जानकारी के अनुसार मंडफिया थानाधिकारी द्वारा पूर्व सरपंच को हिरासत में लिये जाने के बाद राजनीतिक दबाव के चलते 6 घंटे में छोड़ दिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व सरपंच कालूलाल, उसके पुत्र सत्यनारायण और कंचन देवी के विरूद्ध धोखाधड़ी, दस्तावेजों की कूट रचना और अपराधिक षड़यंत्र के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी। परिवादी चांद मोहम्मद उर्फ चांदू खां ने रिपोर्ट में बताया कि उसकी 5 बीघा कृषि भूमि को हड़पने के लिए तीनों ने विक्रय अनुबंध में खाली जगह छोड़ दी और उसमें 500 रुपए के स्टाम्प को पहले नोटरी से प्रमाणित करा दिया और बाद में विक्रय अनुबंध हुआ। इस मामले में पुलिस ने एफआर प्रस्तुत की थी। लेकिन प्रार्थी के अधिवक्ता उमेश आगर ने पैरवी में तथ्यों से न्यायालय को अवगत कराया। इस पर न्यायालय में बिना किसी प्रतिफल के परिवादी को डरा धमका कर छल कपट के जरिए विक्रय विलेख निष्पादित करना पाया और अंतिम प्रतिवेदन को अस्वीकार कर दिया। इस मामले में न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 406 और 120बी के तहत प्रथम दृष्टया अपराध बनना पाते हुए अभियुक्तों को विचारन शुरु करने के निर्देश दिए। न्यायालय में प्रस्तुत एफआर अस्वीकार होने के बाद मंडफिया थाना पुलिस ने पूर्व सरपंच को हिरासत में लिया। सूत्र बताते है कि कथित राजनीतिक दबाव के कारण आरोपित कालूलाल को 6 घंटे हिरासत में रखने के बाद छोड़ दिया।
गौरतलब है कि मंडफिया क्षेत्र में पूर्व में ऐसे ही मामले हो चुके है और जमीनों के संबंध में धोखाधड़ी के मामले सामने आए है।