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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने आज लोकसभा में शून्य काल के दौरान देश के स्वाधीनता संग्राम के पहले किसान आंदोलन चित्तौड़गढ़ जिले के बेंगू-बिजौलिया किसान आंदोलन व उनमे शाहिद हुए वीर किसानों रुपाजी-कृपाजी के गौरवशाली इतिहास को संसद के पटल पर रखते हुए एक महत्वपूर्ण विषय उठाया।
सांसद सीपी जोशी ने बताया कि चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मणी नदी के तट पर बसे बेगूं कस्बे में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान किसानों पर थोपे गए बेगार और अन्य करों के विरुद्ध एक बड़ा और ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था। इस संघर्ष में किसानों ने वर्षों तक अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद की। इसी आंदोलन के अग्रदूत रूपा जी और कृपा जी, जो एक साधारण किसान थे। वे अंग्रेजी शासन के सामने दृढ़ता और साहस के प्रतीक बनकर खड़े हुए।
सांसद सीपी जोशी ने संसद में बताया कि अंग्रेज अधिकारी जिसे ‘ट्रेंच’ के नाम से जाना जाता था, उसने समझौते की बातचीत के लिए उन्हें रायका और गोविंदपुरा गांव में बुलाया, किंतु जब किसानों ने अन्यायपूर्ण शर्तें मानने से इनकार किया तो निहत्थे किसानों पर निर्मम लाठीचार्ज तथा गोलियां चलवाई गयी। जिसमें अनेक किसान घायल हुए और रुपाजी व कृपाजी किसान भाइयों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया।
सांसद सीपी जोशी ने कहा कि पिछले ग्यारह वर्षों में केंद्र सरकार ने किसान हित में अनेक ऐतिहासिक और दूरगामी निर्णय किए हैं। ऐसे में किसानों के सम्मान के लिए संघर्ष करने वाले रूपा जी और कृपा जी के अमर बलिदान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना आवश्यक है। उन्होंने मांग की कि भारत सरकार इन दोनों वीर किसानों के नाम पर एक डाक टिकट जारी करे, ताकि उनका त्याग और संघर्ष आने वाली पीढ़ियों के लिए चिरस्थायी स्मृति बन सके और मेवाड़ के इस गौरवशाली किसान आंदोलन को उचित स्थान मिल सके।
सांसद जोशी ने कहा कि यह केवल दो व्यक्तियों का सम्मान नहीं होगा, बल्कि यह पूरे किसान समुदाय और स्वतंत्रता संग्राम में ग्रामीण नेतृत्व की भूमिका को राष्ट्रीय सम्मान प्रदान करेगा।