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सीधा सवाल। निम्बाहेडा। अखिल भारतीय साहित्य परिषद निंबाहेड़ा द्वारा भारतीय भाषा दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय भाषाओं का सांस्कृतिक सामर्थ्य विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की मुख्य अतिथि वर्षा कृपलानी, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार रतनलाल मेनारिया नीर एवं अध्यक्षता डॉक्टर बालमुकुंद भट्ट "सागर" ने की। संगोष्ठी में विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों ने अपनी बात अपनी भाषा में रखी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता क्षेत्रीय उपाध्यक्ष डॉ रविंद्र कुमार उपाध्याय रहे। मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। परिषद गीत सुशीला माहेश्वरी ने प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत एवं परिचय इकाई अध्यक्ष सत्यनारायण जोशी ने करवाया। मुख्य अतिथि वर्षा कृपलानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम प्रतिदिन राष्ट्रगान जन- गण- मन में पंजाब के साथ सिंध को भी याद करते हैं। लेकिन आज सिंध हमारे देश के भूगोल का हिस्सा नहीं। विभाजन की विभिषिका में हमें अपनों के जान गवाने के बाद सिंध को भी खोना पड़ा। लेकिन आज भी हमारी भाषा सिंधी ने हमें जोड़ा हुआ है। हमने अपनी संस्कृति और भाषा के गौरव को बचाए रखा। विशिष्ट अतिथि रतनलाल मेनारिया ने भारतीय भाषाओं के महत्व और उसकी प्रासंगिकता की बात कही। अध्यक्षता कर रहे जिलाध्यक्ष डॉ बाल मुकुंद भट्ट ने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। सभी भाषाओं में सबसे आसान बोली और समझे जाने वाली भाषा हिंदी है और यह हमारे देश को एक सूत्र में पिरो रही है। मुख्य वक्ता डॉ रविंद्र कुमार उपाध्याय ने परिषद द्वारा देश भर में भारतीय भाषा दिवस के उपलक्ष्य में इस प्रकार के संगोष्ठी के आयोजन की आवश्यकता को समझाया। हमारे देश की विविधता ही हमारी विशेषता है। विभिन्न भाषा,संस्कृतियों से मिलकर हमारा देश बना है। भारत की सभी भाषाएं हमारी अपनी भाषाएं हैं। हमें सब के प्रति उतना ही अपनापन और प्रेम होना चाहिए। भारत सरकार ने भी क्षेत्रीय भाषाओं पर जोर देते हुए प्राथमिक शिक्षा को अपनी स्थानीय भाषा या मातृ भाषा में पढ़ने पर बल दिया है। पहली बार कोई संस्था इस प्रकार के कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित करवा रही है। मैथिली कवि पंकज सरकार ने अपना उद्बोधन मैथिली भाषा में रखते हुए मैथिली के मिठास की बात कही । इस अवसर पर उन्होंने अपना एक गीत "हे कागा आबह हम्मर द्वार कनी कहि दे समाचार, बाट जोहि के थाइक चुकल नैन आयल नहीं तार" के माध्यम से प्रेयसी द्वारा कौवे को अपने साजन के संदेश लाने की बात कहती है और कौवे को विभिन्न प्रलोभन देती है। जयेश कुमार बकरानिया ने गुजराती में अपनी बात रखते हुए मधुर गुजराती गीत प्रस्तुत किया। सुशीला माहेश्वरी ने संस्कृत भाषा के महत्व को बताते हुए संस्कृत गीत प्रस्तुत किया। श्यामा सोलंकी, दीपिका सत्यदीप ने भी अपनी रचनाएं रखी। धन्यवाद ज्ञापन विभाग संयोजक राजेश गांधी ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन तृप्ति कुमावत ने किया। इस अवसर पर तरुणा गोखरू, हंसा स्वर्णकार,बालमुकुंद प्रधान, फतेह सिंह, दिनेश चंद्र धींग, घनश्याम तोसावडा, पुष्कर मेनारिया, राजकुमार चपलोत, कमलेश जैन, शशि कुमार जोशी, चंद्र प्रकाश जोशी, परसराम कुमावत, सीमा शर्मा सहित प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे।