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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा के विरोध में अरावली बचाओ मुहिम के तहत संगम विकास समिति के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रभा गौतम को ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन संगम विकास समिति के बालकिशन भोई, हर्षवर्धन रुद्र, पूरन राणा, हरीश ईनाणी, ओमप्रकाश शर्मा, ओमप्रकाश लड्ढा, मनोज वैष्णव और गोपालकृष्ण दाधीच के नेतृत्व में दिया गया।
इस अवसर पर सत्यनारायण भोई ने बताया कि वर्तमान में अरावली पर्वतमाला की जो नई परिभाषा प्रस्तावित की गई है, वह पर्यावरण, वन्यजीव, जंगल और मानव समाज के लिए घातक है। बालकिशन भोई ने कहा कि न्यायालय द्वारा 100 मीटर से नीचे की पहाड़ियों को परिभाषा से बाहर करने से जीव-जंतु और वन क्षेत्र समाप्त होने का खतरा है। अरावली पर्वतमाला के क्षरण से मरुस्थलीकरण बढ़ेगा और इसका सीधा असर पर्यावरण संतुलन पर पड़ेगा।
ज्ञापन के माध्यम से पर्यावरण प्रेमियों ने आग्रह किया कि अरावली पर्वतमाला को ऊंचाई के आधार पर नहीं, बल्कि वर्तमान स्वरूप के अनुसार ही मान्यता दी जाए। अरावली केवल पर्वतमाला ही नहीं, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान और अमूल्य धरोहर है। यहां लाखों वन्यजीव और हजारों प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं, जिन पर इस नई परिभाषा से गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।
पर्यावरण प्रेमियों ने उच्च न्यायालय से जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने और अरावली के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
इस अवसर पर लाभचंद कुमावत, रोहित सिंह, महेंद्र कुमावत, नारायण भोई, पूर्व पार्षद हीरालाल भोई, भगवान भोई, कालू भोई, रतन भोई, बंशीलाल भोई, कन्हैयालाल भोई, दिव्या सालवी, रवि भोई, श्यामलाल भोई, रमेश भोई, रतन बैरवा सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठजन, युवा कार्यकर्ता एवं महिलाएं उपस्थित रहीं।