views
श्रीमद भागवत कथा में भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया

सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। नगर में भराड़िया परिवार मिठाई वालों के द्वारा अनंत श्री विभूषित श्री रंगनाथानाचार्य महाराज की प्रेरणा से स्वर्गीय रामचंद्र –स्वर्गीय गवरा बाई एवं स्वर्गीय हजारीमल –स्वर्गीय सोसर बाई , स्वर्गीय समेरमल एवं स्वर्गीय रामकरण एवं स्वर्गीय अनुराधा भराड़िया की पुण्य स्मृति में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आखरी दिन श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का बखान किया गया। श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या का श्री श्री 1008 श्री माधव प्रपन्नाचार्य जी महाराज के मुखार्विंद से उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया। विगत सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया। इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें एवं अंतिम दिन भगवान श्री कृष्ण सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। श्री माधव प्रपन्नाचार्य जी ने कथा में भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए कहा कि आज कल मित्रता स्वार्थ की रह गई हैं। जब तक स्वार्थ तब तक मित्रता, स्वार्थ खत्म मित्रता खत्म। उन्हें भगवान श्री कृष्ण के जीवन से शिक्षा लेने की बात कहीं। उन्होंने कहा भगवान श्री कृष्ण का जीवन ही संघर्ष पूर्ण रहा। उन्होंने जन्म से लेकर जीवन पर्यंत कठिन समस्याओं का सामना किया। कथा वाचक ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने कहा जो काम प्रेम के माध्यम से संभव हैं, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता हैं। कथा में व्यासपीठ पर विराजित संत ने कहा कि परमात्मा की कृपा से ही सब होता हैं। उनकी अनुमति के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता। भगवान समदर्शी हैं, सबको एक नजर से देखते हैं। उनकी नजर में कोई अमीर गरीब नहीं हैं। श्रीमद्भागवत कथा का उद्देश्य ही परमात्मा के ज्ञान, आत्मा के ज्ञान और सृष्टि विधान के ज्ञान को स्पष्ट करना हैं। गीता वास्तव में चरित्र निर्माण का सबसे बड़ा और उत्तम शास्त्र हैं। इसके माध्यम से भगवान ने कहा हैं कि चरित्र कमल पुष्प समान संसार में रहकर और श्रेष्ठ कर्मों से बनेगा न कि घर-बार छोड़ने और कर्म संन्यास क्रियाएं करने से। इस दौरान भजन गायक ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। श्रीमद्भागवत कथा का पूर्णाहुति के साथ समापन हो गया। श्री माधव प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने अपने अनुयायियों को गुरु दीक्षा प्रदान की। इस सात दिवसीय भागवत कथा में दूर दराज से काफी संख्या में महिला-पुरूष भक्तों आकर कथा का आनंद उठाया। सात दिनों तक कथा में पूरा वातावरण भक्तिमय रहा। भराडिया परिवार के अमरजीत, अर्जुनलाल, मदन, सत्यनारायण, देवकिशन, राकेश, विकास, गगन, मंगल, दुर्गेश, भागीरथ, हितेश, यश, सोमेश, युधिष्ठिर, आरव, पूर्वेश, यथार्थ, चार्विक ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत सत्कार किया। श्री माहेश्वरी समाज ने निंबाहेड़ा तहसील अध्यक्ष के नेतृत्व में भराडिया परिवार का सुंदर आयोजन के लिए सम्मान किया गया और भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की गई। कथा के पश्चात भराड़िया परिवार द्वारा महाप्रसादी का वितरण किया गया।