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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। हर वर्ष नगर परिषद की और से चितौड़गढ़ के इंदिरा गांधी स्टेडियम में 10 दिवसीय दशहरा मेला आयोजित होता आया है। निकटवर्ती निंबाहेड़ा और कोटा में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय दशहरे मेले के बीच चित्तौड़गढ़ में आयोजन को सफल करना काफी चुनौती भरा था। जब चित्तौड़गढ़ की भी पहचान तथा लोगों की भीड़ के साथ दुकानदार भी आने लगे तो अब तीन सालों से आयोजन नहीं हो रहा है। इससे एक तरफ जहां शहर और आस-पास के लोगों को मेले और रावण दहन का लुत्फ नहीं मिल रहा है तो वहीं दुकानदारों को भी प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में मेले आयोजन नहीं होने से हर कोई मायूस है। इस बार भी केवल दशहरे के दिन रावण का दहन होगा, जिसको लेकर इंदिरा गांधी स्टेडियम में तैयारियां की जा रही है।
नगर परिषद आयुक्त कृष्ण गोपाल ने बताया कि चित्तौड़गढ़ नगर परिषद की और से इस बार मेले का आयोजन नहीं होगा। केवल रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन होगा। यहां इंदिरा गांधी स्टेडियम में पुतले बनाने का कार्य किया जा रहा हैं। वहीं इस आयोजन को लेकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से चर्चा की है। उच्च अधिकारियों के निर्देशन में पुतले दहन की तैयारियां की जा रही है। उन्होंने बताया कि दशहरे पर यहां स्टेडियम में करीब एक घंटे रामलीला का मंचन भी किया गया। शिव रामायण मंडल की और से इस रामलीला का मंचन होगा। इसके बाद भी पुतलों का दहन किया जाएगा।
6.95 लाख रुपए होंगे खर्च
नगर परिषद आयुक्त ने बताया कि दशहरे पर पुतले दहन के साथ ही भव्य आतिशबाजी भी की जाएगी। इस पूरे आयोजन पर 6.95 लाख रखे खर्च होंगे। इसमें 2.91 लाख रुपए पुतलों पर, 3.69 रुपए आतिशबाजी पर तथा 35 हजार रुपए रामलीला के मंचन पर खर्च होंगे। यहां रावण का पुतला 72 फीट तथा मेघनाद व कुंभकरण के पुतले 51-51 फीट के होंगे।
2022 के बाद नहीं लगा दशहरा मेला
इधर, जानकारी में सामने आया कि वर्ष 2022 के बाद चित्तौड़गढ़ में दशहरा मेले का आयोजन नहीं हुआ है। वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण मेला नहीं हुआ था। वहीं 2024 में नगर परिषद बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के अंतिम दिनों में था। वहीं इस वर्ष नगर परिषद में प्रशासक नियुक्त है तथा 10 दिवसीय मेले को लेकर कोई तैयारियां नहीं की है। चुनाव नहीं होने के कारण बोर्ड का गठन नहीं हुआ है।
कभी दहन के साथ शुरू किया था दशहरा मेला
करीब 12 साल पहले चितौड़गढ़ में दशहरा मेला शुरू किया था। निंबाहेड़ा और कोटा के राष्ट्रीय आयोजन के चलते ना तो जनता और ना ही दुकानदार रुचि दिखा रहे थे। ऐसे में रावण दहन के साथ दशहरा मेला शुरू किया गया, जो काफी सफल रहा था। ऐसे में इसे लगातार शुरू कर दिया गया।
शहरवासी भी हो रहे मायूस
स्थानीय निवासी अशोक प्रजापत ने बताया कि पहले सर्दी के मौसम में उद्योग विभाग की और से उद्योग मेला लगता था। लेकिन पिछले 15 सालों से वह भी बंद है। कुछ वर्षों से दशहरा मेला अच्छी पहचान बना चुका था। लेकिन तीन साल से यह आयोजन नहीं होने से बच्चों के साथ बड़े भी मायूस है। भाग दौड़ भरी जिंदगी में ऐसे आयोजन माहौल के बदलते हैं। परिवार के साथ देखने जाने में अच्छा भी लगता है। प्रशासन को चाहिए कि दशहरा मेले का आयोजन हर साल हो। नई पीढ़ी तो मेले जैसे आयोजन का महत्व ही भूल जाएगी।