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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राज्य सरकार द्वारा आमजन को शासन की योजनाओं का लाभ उनके गाँव में ही उपलब्ध कराने हेतु आयोजित “ग्रामीण सेवा शिविर 2025” अब ग्राम स्तर पर त्वरित समाधान और जनविश्वास का प्रतीक बन गया है। इसी क्रम में शुक्रवार 17 अक्टूबर को ग्राम पंचायत बोरखेड़ा में आयोजित शिविर दो महत्वपूर्ण मामलों के समाधान का गवाह बना — एक में पारिवारिक विवाद का सौहार्दपूर्ण निपटारा हुआ, तो दूसरे में परिवारों को वर्षों बाद भूमि स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हुआ।
सौहार्द से सुलझा दशकों पुराना पारिवारिक विवाद
ग्राम बोरखेड़ा के खसरा संख्या 536 से संबंधित धर्मचंद पुत्र किशना मांगीलाल एवं
पीरसिंह पुत्र जमनालाल, निवासी बोरखेड़ा, के बीच लंबे समय से पारिवारिक संपत्ति विवाद चल रहा था।
ग्राम पंचायत बोरखेड़ा में शुक्रवार 17 अक्टूबर को आयोजित “ग्रामीण सेवा शिविर” में दोनों पक्षों ने आपसी समझौते और सौहार्दपूर्ण सहमति के आधार पर विवाद निस्तारण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। राजस्व विभाग द्वारा राजस्थान कास्तकारी अधिनियम की धारा 53 के अंतर्गत आपसी सहमति बंटवारा की कार्यवाही शिविर स्थल पर ही त्वरित एवं पारदर्शी तरीके से पूर्ण की गई।
दोनों पक्षों ने प्रशासन की मध्यस्थता में शांति और भाईचारे का परिचय देते हुए अपना विवाद सुलझाया। इससे न केवल परिवार में सौहार्द कायम हुआ, बल्कि भविष्य में संभावित कानूनी विवादों से भी राहत मिली।
दोनों पक्षों ने कहा “सरकार का यह शिविर हमारे परिवार के लिए वरदान साबित हुआ है। वर्षों पुरानी समस्या अब कुछ ही घंटों में सुलझ गई।”
वर्षों बाद मिला अपने पुश्तैनी घर का कानूनी अधिकार
इसी शिविर में ग्राम बोरखेड़ा निवासी शकारूलाल पुत्र शंकरलाल गायरी एवं गोपाल पुत्र सवा डांगी को अपनी पुश्तैनी भूमि का वैध पट्टा प्रदान किया गया। दोनों परिवार कई वर्षों से इस भूमि पर निवासरत थे, परंतु स्वामित्व का कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं होने से वे सरकारी योजनाओं, बैंक ऋण एवं अन्य सुविधाओं से वंचित थे।
राजस्व विभाग एवं ग्राम प्रशासन ने इन परिवारों के आवेदन पर सत्यापन एवं भौतिक निरीक्षण की प्रक्रिया पूर्ण की और दोनों को उनके मकानों का कानूनी स्वामित्व पट्टा सौंपा गया। कारूलाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा “अब हमें अपने घर का हक मिला है। यह केवल एक कागज़ नहीं, बल्कि वर्षों की प्रतीक्षा का फल है।”