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                                            एफआरटी केवल कागजों में चलती रही, गांव की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं, जगह-जगह केबल कटना, पोल झुकना आम बात
चिकारड़ा। अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के कारनामे आए दिन सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी निगम के अधिकारी और कार्मिक व्यवस्था में कोई सुधार लाने को तैयार नहीं दिखते। इसी का ताजा उदाहरण चिकारड़ा में 13 घंटे की बिजली कटौती ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अजमेर विद्युत निगम लिमिटेड की कार्यप्रणाली केवल कागजों में चल रही है। सुधार के सारे दावे हवा में हैं और चिकारड़ा जैसे गांवों के लोग आज भी अंधेरे में रहकर निगम की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, बीती रात रिमझिम बारिश के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होती रही। इसी दौरान रात्रि 12 बजे के बाद गांव की विद्युत आपूर्ति अचानक बंद हो गई, जो कि 13 घंटे बाद जाकर बहाल हुई। विद्युत कार्मिकों का कहना है कि नहर के समीप एक पोल से तार टूट गया था, जिसके चलते आपूर्ति बाधित हुई।
अब सवाल उठता है कि जब विद्युत निगम के पास एफआरटी (फॉल्ट रिपेयर टीम) मौजूद है, जिसका काम 24 घंटे बिजली व्यवस्था को सुचारू रखना है, तो फिर एक तार जोड़ने में 13 घंटे क्यों लग गए? जबकि सामान्यतः इस तरह के काम में 20 से 30 मिनट से अधिक समय नहीं लगता। यह स्थिति निगम की कार्यप्रणाली और कार्मिकों की लापरवाही पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। इससे पहले भी ऐसा ही वाकया सामने आया था, जब 5 फीट की केबल जोड़ने में पूरे 8 घंटे लगा दिए गए थे।
चिकारड़ा कस्बे में बिजली की स्थिति इतनी बदहाल है कि कब लाइट चली जाए और कब आए — यह भगवान भरोसे है। दिनभर में 10 से 20 बार स्ट्रिपिंग (आपूर्ति बाधित होना) आम बात है। गांव में कई जगह पोल झुके हुए हैं, कहीं बीच से टूटे हुए हैं, तो कहीं तार सिर पर झूलते नजर आते हैं। लेकिन जब तक कोई हादसा न हो, तब तक विभागीय अधिकारी-कर्मचारी ध्यान नहीं देते।
पिछले एक वर्ष में ग्राम पंचायत स्तर पर कई बार “समस्या समाधान शिविर” आयोजित किए गए, जिनमें बार-बार यही शिकायतें आईं — “कहीं पोल झुके हुए हैं, कहीं टूटे हुए, कहीं तार लटके हुए हैं।” शिकायतें तो रजिस्टर कर ली जाती हैं, लेकिन उनका निस्तारण आज तक नहीं होता।
नहर पर तार टूटने को लेकर लाइनमैन सुग्रीव चौधरी ने बताया कि “रात्रि 12 बजे के बाद एक खंबे से तार टूट गया था, जिसे सुबह 12 बजे जाकर जोड़ा गया।” यानी एक तार टूटने के कारण पूरा गांव 13 घंटे तक अंधेरे में डूबा रहा। जबकि FRT की मौजूदगी के बाद भी रातभर कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौके पर नहीं पहुंचा।
लापरवाही का आलम यहीं नही होता खत्म
जीएसएस पर ठेका कर्मियों की 3 व्यक्तियों की 8-8 घंटे की ड्यूटी तय है, जबकि यहां एक-एक व्यक्ति 12-12 घंटे की ड्यूटी कर रहा है। यही हाल FRT का भी है — 12 व्यक्तियों की टीम के बावजूद रात में कोई मौके पर नहीं पहुंचा। ग्रामीणों का कहना है कि “लाइट बंद होने पर हमें 100–200 रुपये देकर किसी दूसरे व्यक्ति से तार जोड़वाना पड़ता है।” इससे बड़ा लापरवाही का उदाहरण और क्या होगा? इस मामले में एक्सईएन से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन नो रिप्लाई मिलता रहा।
इनका कहना है
“13 घंटे तक सप्लाई बंद रही, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। मुझे सुबह 10 बजे बताया गया। ऐसा क्यों हुआ, इसकी जानकारी करवाता हूं।”
अविनाश खरे, सहायक अभियंता, डूंगला
“रात में FRT का कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था, जिससे तार नहीं जोड़े जा सके। सुबह भी FRT का व्यक्ति नहीं आया, इसलिए दूसरे व्यक्ति उदयलाल को बुलाकर तार जोड़ा गया और दोपहर 12 बजे सप्लाई चालू की गई।”
सुग्रीव चौधरी, लाइनमैन, चिकारड़ा
 
                        					                               					
                                            
                                        
                                        
                                     
                         
                         
                                                 
                                                     
                                                     
                                                         
                                                         
                                                         
                                                         
                                                        