views
अवकाश काटने के आक्षेपों से कार्मिकों मे रोष व्याप्त
सिरोही। सिरोही जिले में शिक्षा विभाग द्वारा कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका की ऑडिट के नाम पर शिक्षकों को प्रताड़ित करने का गोरख धंधा चलाया जा रहा है। शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका एवं उससे संबंधित आदेश फाइल विभाग अध्यक्ष के पास रखी जाती है। जिसमें कर्मचारी की सेवा संबंधित समस्त पत्रावली संरक्षित होती हैं। इस पुस्तिका एवं फाइल का संधारण विभागाध्यक्ष द्वारा किया जाता है। कर्मचारी का इसमें कोई रोल नहीं होता है। कर्मचारी को समय-समय पर अवकाश काल में विभागीय एवं राष्ट्रीय कार्यक्रमों में कार्य करने की एवज में उपार्जित अवकाश देय होते हैं । कर्मचारी द्वारा उक्त कार्य करने का उपस्थिति प्रमाण पत्र , आदेश विभागाध्यक्ष को प्रेषित करने पर नियमानुसार उपार्जित अवकाश कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में जोडे जाते है ।जिसका आदेश क्रमांक एवं कार्य का प्रकार भी सेवा पुस्तिका में अंकित किया जाता है । उपस्थित प्रमाण पत्र तथा अवकाश स्वीकृत करने का आदेश कर्मचारी की फाइल में संरक्षित किया जाना होता है। वर्तमान में गठित अंकेक्षण दल द्वारा कर्मचारियों की उपरोक्त कार्रवाई हेतु कर्मचारी को दोषी मानते हुए उनकी सेवा पुस्तिका में उपार्जित अवकाश की प्रविष्टि होने एवं स्वीकृत आदेश नहीं होने का आक्षेप लगाते हुए कर्मचारी से उपरोक्त आदेश मांगा जा रहा है। तथा नहीं मिलने पर सेवा पुस्तिका में की गई प्रविष्टि को अवैध बताते हुए उपार्जित अवकाश काटने के आक्षेप जारी किए गए हैं ।जबकि उपरोक्त आदेशों को संरक्षित करना संबंधित विभाग अध्यक्ष का कार्य है ।इस प्रकार कर्मचारियों को उपार्जित अवकाश कम करने के आक्षेप जारी कर विभागीय अंकेक्षक दल जिले में भय का माहौल बनाने का कार्य कर रहा है। जिसमें भ्रष्टाचार की संभावनाओं की बू आ रही है ।लोग दबे स्वर में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा रहे हैं। इस संबंध में अगर कोई कार्रवाई की जानी अपेक्षित है तो वह विभागाध्यक्ष के विरुद्ध की जानी चाहिए ।क्योंकि विभागाध्यक्ष ने अपने कर्तव्य का निर्वाह ठीक से नहीं किया है । इसलिए कर्मचारी के सेवा फाइल में संबंधित आदेश या उपस्थिति के प्रमाण नहीं मिल रहे हैं ।कार्मिक अपने विभागीय अधिकारियों , राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के आदेशों की पालना करते हुए छुट्टियों मे भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाकर कार्य को अंजाम देते है ।उनके बदले उनको उपार्जित अवकाश मिलते है ।उनके आदेश व उपस्थिति को सहेज कर रखना कार्यालय अध्यक्ष व समक्ष अधिकारी का कार्य है ।आदेशों व उपस्थिति के नहीं होने के दोषी विभागाध्यक्ष व सक्षम अधिकारी है ।संबंधित कागजात विभागाध्यक्ष के पास नहीं होना लचर कार्यशैली को दर्शाता है। कार्मिक सरकार के आदेशों की पालना करते हुए अपनी जिम्मेदारी से कार्य को अंजाम तक पहुंचाता है । उससे संबंधित कागजात विभागाध्यक्ष को प्रेषित कर चुका होता है। उसके कारण उसको अवकाशों का लाभ मिला होता है ।अब उससे कागजात मांगना अन्याय पूर्ण है।संगठनों के विरोध पर सीडीईओ सिरोही ने आदेश क्रमांक सीडीईओ/समसा/सि/2020/118 दिनांक 8 जुलाई के तहत सभी पीईईओ को कार्मिकों को आदेशों हेतु परेशान नही करने का आदेश किया था ।फिर भी पीईईओ कार्मिकों से आदेश मांग रहे है ।जिसका महासंघ पुरजोर विरोध करता है । राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ भामसं के प्रदेश सह मंत्री राव गोपालसिंह पोसालिया में जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी को इसमें हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है ।यदि किसी सक्षम अधिकारी या पीईईओ ने कार्मिकों के अवकाश को काटा तो महासंघ आंदोलन करेगा ।जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन व मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी की रहेगी।