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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। विशिष्ठ न्यायालय पोक्सो कोर्ट चित्तौड़गढ़ क्रमांक -1 के न्यायधीश ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त को 20 साल की कड़ी सजा सुनाई। साथ ही 35 हजार रुपए हजार रुपए अर्थदंड सुनाया। अभियुक्त ने अपने ही मकान मालिक की नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया था। फैसले में न्यायालय ने अपनी विशेष टिप्पणी में यह भी कहा कि जांच अधिकारी की लापरवाही की वजह से सजा होने में देरी हो गई है।
विशेष विशिष्ट लोक अभियोजक पोक्सो कोर्ट चित्तौड़गढ़ शोभा लाल जाट ने बताया कि साल 2018 में थाना कोतवाली क्षेत्र में रहने वाली एक महिला ने रिपोर्ट दी थी। इसमें कि 12 सितंबर 2018 को वह फल फ्रूट बेचने के लिए बस्सी गई थी और उसका पति भुट्टे बेचने के लिए गया हुआ था। इस दौरान प्रार्थिया की 15 साल की नाबालिग पुत्री घर पर अकेली थी, जिसने मां के आने के बाद बताया कि मकान में रहने वाला किराएदार छोटूदास ने दो महीने पहले जब घर पर कोई नहीं था तो उसके साथ रेप किया और साथ ही धमकी भी दी कि अगर किसी को बताया तो उसके भाई को मार डालेंगे। पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज कर न्यायालय में आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान पेश किया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान न्यायालय में अभियोजन पक्ष की और से 15 गवाह और 19 दस्तावेज पेश किए गए। न्यायाधीश ने अभियुक्त छोटू दास पुत्र गिरधारी दास को दोषी मानते हुए दो अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई। अभियुक्त छोटू दास को 20 साल का कठोर कारावास और 35 हजार रुपए के आर्थिक दंड से दंडित किया। विशिष्ठ लोक अभियोजक शोभालाल जाट ने बताया कि न्यायालय ने फैसले की एक कॉपी उदयपुर रेंज के महानिरीक्षक (आईजी) को भेजने का आदेश दिया। इसमें उन्होंने लिखा कि जांच अधिकारी ने रेप से संबंधित पीड़ित और आरोपी का मेडिकल करवाया था। लेकिन सारे मेडिकल डॉक्यूमेंट लापरवाही से खो दिए। जब आरोपी को पेश किया जा रहा था तो मेडिकल रिपोर्ट ही गायब थी। बाद में मेडिकल रिपोर्ट की डुप्लीकेट निकाल कर कोर्ट में पेश किए गए, जिसके चलते कोर्ट का टाइम खराब हुआ और निर्णय देने में फैसला देने में देरी हो गई।