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चितौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ के अश्व वीरभद्र ने खूबसूरती के मामले में प्रथम पुरस्कार जीता है। महाराष्ट्र के सारंगखेड़ा में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अन्य अश्व से वीरभद्र काफी आगे रहा। पहली बार चित्तौड़गढ़ से अश्व ने बाहर किसी बड़ी प्रतियोगिता में जाकर यह पुरस्कार हासिल किया है। सर्वश्रेष्ठ रहने पर अश्व मालिक को डेढ़ लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया गया है। जानकारी में सामने आया है कि चित्तौड़गढ़ में सेंती निवासी चंद्रप्रकाश गोस्वामी अश्व पालन का शौक है। इनके पास कुल 5 अश्व हैं, जिनमें 4 साल का काले रंग का खूबसूरत अश्व वीरभद्र भी है। महाराष्ट्र के सारंगखेड़ा में गत दिनों चेतक फेस्टिवल का आयोजन हुआ था। इसमें मारवाड़ी अश्व प्रतियोगिता में वीरभद्र ने चित्तौड़ का नाम बढ़ाते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में कुल 65 अश्व शामिल हुए थे तथा 6 जज ने निर्णय किया था। इसमें वीरभद्र की लंबी गर्दन, छोटा मुंह, कान शुद्ध मारवाड़ी कुंडीदार सहित कई विशेषताओं को देखते हुए इसे प्रथम पुरस्कार दिया गया है। वीरभद्र की इस उपलब्धि पर चित्तौड़गढ़ के अश्व प्रेमियों में खुशी है। अश्व मालिक चंद्रप्रकाश गोस्वामी के साथ ही आनंद कैथवास तथा विधांश इस प्रतियोगिता में अश्व के साथ महाराष्ट्र के सारंगखेड़ा गए थे। प्रतियोगिता जीत कर लौटने के बाद सीपी गोस्वामी के भतीजे विशाल गोस्वामी सहित अन्य परिजनों ने खुशी जताई है।
अब तक गुजरात व पंजाब रहते थे विजेता
अश्व प्रेमी चंद्रप्रकाश गोस्वामी ने बताया कि इस प्रतियोगिता में अब तक गुजरात व पंजाब के अश्व ही प्रथम पुरस्कार प्राप्त करते आए थे। पहली बार चित्तौड़गढ़ से वीरभद्र को को प्रतियोगिता में लेकर गए थे, जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस वर्ष प्रतियोगिता में तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, गुजरात महाराष्ट्र आदि राज्यों से आए अश्व शामिल हुवे थे। बताया गया है कि सारंगखेडा में होने वाले मेले में करीब 10 हजार अश्व भाग लेते हैं लेकिन प्रतियोगिता के केवल 65 अश्व ने ही भाग लिया था।
पंजाब के खेमपुर से खरीदा, ग्रेट गेंबलर का बेटा है वीरभद्र
अश्व मालिक चंद्रप्रकाश गोस्वामी ने बताया कि चार वर्ष पूर्व इसे पंजाब के खेमपुरा से खरीदा गया था। यह ग्रेट गेंबलर का बेटा है, जो वर्तमान में अंबानी ग्रुप के रिलायंस में जा चुका है। गोस्वामी ने बताया कि वर्ष 2015 में उन्होंने सबसे पहले एक हॉर्स खरीदा था। अभी उनके पास कुल 2 घोड़े और 3 घोड़िया है। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वीरभद्र को ट्रक से ले जाया गया।
अश्व की नस्ल सुधार पर देंगे ध्यान अश्व मालिक
चंद्रप्रकाश गोस्वामी ने बताया कि उनके परिवार में अश्व पालन का शौक रहा है। 2015 में पहली बार अश्व लेकर आए थे l। दो घोड़े एवं तीन घोड़ियां होने के बावजूद अब तक विवाह समारोह सहित अन्य व्यवसायिक उपयोग में अश्व नहीं भेजा है। लेकिन आने वाले समय में वे वीरभद्र के माध्यम से अश्व की नस्ल सुधार के लिए प्रयास करेंगे और इसी के माध्यम से व्यवसाय में आगे बढ़ने की योजना है।