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चितौड़गढ़। राजस्थान सरकार को बने हुए करीब डेढ़ वर्ष से अधिक का समय हो चुका है लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाई है। फिलहाल करीब 3 माह से अधिक समय हो गया कोरोना संक्रमण का दौर रहा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि राजनीतिक नियुक्तियों को कोरोना का ग्रहण लगा हुआ है और जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को राजयोग के लिए फिलहाल और इंतजार करना पड़ सकता है। लेकिन खबर मिली है कि हाल ही में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सूचियां मांगी है। जिला कांग्रेस कमेटी ने भी जिले से सूचियां बना कर भेजी है। ऐसी संभावना है कि आगामी दिनों में नियुक्तियां हो सकती है। चित्तौड़गढ़ जिले में भी राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर कई महत्वपूर्ण पद है, जिन पर नियुक्तियां होनी है। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि राजनीतिक नियुक्तियों में ऊपर के स्तर पर खींचतान नहीं हो।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने लंबा समय हो चुका है। दिसम्बर 2018 में गहलोत सरकार ने पुनः प्रदेश की कमान संभाली थी। तब आस थी कि शीघ्र राजनीतिक नियुक्तियां होगी। पहले तो काफी इंतजार करना पड़ गया। बाद में तीन माह से कोरोना का दौर शुरू हो गया। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के राज योग पर अब कोरोना का ग्रहण भारी पड़ता लग रहा है और इसी के चलते अब राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार और लम्बा हो गया है। कार्यकर्ताओं को सरकार बनते ही उम्मीद थी कि अब उन्हें भी सत्ता में भागीदारी मिलेगी। तब सीएम अशोक गहलोत ने इसके लिए कवायद भी शुरू कर दी थी। प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे व पीसीसी चीफ सचिन पायलट के साथ कवायद भी की गई। सरकार और संगठन में समन्वय के लिए बनी समिति ने अपनी बैठक भी की जिसमें तय हुआ कि राजनीतिक नियुक्तिया 31 मार्च तक कर दी जाएगी। तब कुछ समितियां बना उसमें कार्यकर्ताओं को लिया। नियुक्तियों को लेकर सरकार कदम बढ़ती उससे पहले ही देश और प्रदेश में कोरोना फैलने लगा। राजस्थान में 21 मार्च को लॉक डाउन लगा दिया गया और पूरी सरकार इससे निपटने में लग गई। प्रदेश सरकार फिलहाल कोरोना को रोकने के उपायों में लगी है। वैसे तो राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर प्रदेश में कई पद हैं लेकिन चितौड़गढ़ जिले में श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल बोर्ड का गठन महत्वपूर्ण है। इसमें चेयरमेन के साथ ही आठ-दस सदस्यों की नियुक्ति होती है। इसके अलावा यूआईटी चेयरमैन का भी महत्वपूर्ण पद है। बाल कल्याण समिति में अध्यक्ष सहित अन्य पद हैं। गत दिनों ही सरकार ने इसके लिए तो बकायदा आवेदन मांगे थे।
नगर निकाय, पंचायती राज व राज्य सभा चुनाव भी निपटे
जानकारी में सामने आया कि सरकार बनने के बाद 1 साल तो ऐसे ही निकल गया। लेकिन बाद के 6 महीनों में लगातार चुनाव रहे हैं। इसमें निकाय चुनाव भी हुए हैं तो साथ ही पंचायत राज के चुनाव का एक दौर भी निपटा है। इसका दूसरा दौर शुरू होना था कि कोरोना संक्रमण का दौर आ गया। इसी बीच जून में ही राज्यसभा चुनाव भी हुए हैं। ऐसे में सरकार इन चुनावों में भी व्यस्त रही है। लेकिन फिर भी सरकार के पास इतना समय तो था कि वह राजनीतिक नियुक्तियां कर सकें। लेकिन ऊपर के स्तर की खींचतान की संभावना को देखते हुए गहलोत सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं किया।
चार बार भेज दी सूचियां
जानकारी में सामने आया कि जिला कांग्रेस कमेटी की और से अब तक चार बार सूचियां भेजी जा चुकी है। हाल ही में राज्यसभा चुनाव के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने पुनः राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सूची तैयार कर मांगी थी। इस पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मांगीलाल धाकड़ ने पुनः सूची बना कर भेज दी है। अब इंतजार है कि सरकार कब राजनीतिक नियुक्तियां करें।
यूं छलका कांग्रेस जिलाध्यक्ष का दर्द
राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष मांगीलाल धाकड़ से बात की गई। श्री सांवलियाजी मंदिर बोर्ड को लेकर उनका दर्द छलक उठा। धाकड़ करीब पांच वर्ष से जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा का शासन आया तब उन्होंने एक माह में ही श्री सांवलियाजी मंदिर के बोर्ड को बदल दिया था। अब कांग्रेस शासन में डेढ़ वर्ष से ज्यादा समय हो गया है लेकिन कोई बदलाव नहीं हुवा है।
कहीं समन्वय की कमी तो नहीं
भले ही ऊपरी तौर पर यह दिखाई नहीं दे लेकिन ऐसा भी माना जा रहा है कि सत्ता और संगठन में कमी से भी ऐसा हो सकता है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अंदर खाने नियुक्तियों में देरी को लेकर कई तरह की चर्चा भी है। कहीं इसी कारण तो संगठन को चार बार सूची तो नहीं भेजनी पड़ गई।
वर्जन ......
राजनीतिक नियुक्तियां एक सतत प्रक्रिया है। इसमें कोई देरी नहीं हुई है। पहले निकाय चुनाव व बाद में पंचायत राज चुनाव आ गए। अभी पूरी सरकार कोरोना संक्रमण से लड़ाई में व्यस्त है। राज्यसभा चुनाव भी अभी खत्म हुवे हैं। प्रभारी महासचिव ने हाल ही में कहा था कि शीघ्र नियुक्तियां होगी। कुछ नियुक्तियां दी भी है। प्रदेशाध्यक्ष भी इस सम्बंध में इशारा कर चुके हैं। मुख्यमंत्री इस बात के हिमायती है कि जिस कांग्रेस के कार्यकर्ता ने पांच साल संघर्ष किया है उसे मान सम्मान मिलना चाहिए। यह पद मान समान के लिए है।
सुरेंद्रसिंह जाड़ावत, एआईसीसी सदस्य एवं पूर्व विधायक
चार बार सूचियां भेज दी है। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस कमेटी से पुनः सूची मांगी गई थी। नियुक्तियों में देरी से कार्यकर्ताओं में नाराजगी तो नहीं है। लेकिन समय पर नियुक्तियां हो जाए तो अच्छा ही है। आगामी दिनों में राजनीतिक नियुक्तियां होनी है।
मांगीलाल धाकड़, कांग्रेस जिलाध्यक्ष