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सीधा सवाल । निंबाहेड़ा। उपखंड मुख्यालय पर संचालित प्रसिद्ध पाटनी परिवार की वंडर सीमेंट में एक बार फिर हादसा हुआ और हादसे में एक युवक की मौत हो गई। हादसे के बाद परिजनों और समाज जनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रदर्शन किया तब जाकर इस रसूखदार कंपनी के प्रबंधन का मन पसीजा और मुआवजे पर सहमति बन पाई वही इस पूरे मामले में इंसानियत इसलिए शर्मसार हो गई क्योंकि जब तक मुआवजे को लेकर सहमति नहीं बनी तब तक परिजनों को यह तक नहीं बताया गया कि हादसे में मौत के शिकार बने युवक का शव कहां रखा गया है। जानकारी के अनुसार निंबाहेड़ा के कोतवाली थाना क्षेत्र में इशकाबाद में किराए से रहने वाले राशमी उपखण्ड के बूढ़ राजेश पुत्र बरदी शंकर तेली जो की बॉयलर सहायक सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत था और मंगलवार को ड्यूटी करते हुऐ ऊंचाई से गिरने के कारण घायल हो गया और उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद हुई मौत की जानकारी सामने आने पर सुबह परिजन और समाज जन वंडर सीमेंट फैक्ट्री के गेट पर एकत्रित हो गए। मुआवजा आश्रित को नौकरी और बेटी की पढ़ाई को लेकर विभिन्न मांगों के साथ प्रदर्शन शुरू कर दिया लगभग 4 घंटे से अधिक समय के प्रदर्शन के बाद मांगों पर सहमति बन पाई और 45 लाख मुआवजा राशि मृतक की बेटी की शिक्षा और आश्रित को नौकरी देने के आश्वासन के बाद शव परिजनों ने लिया। मौके पर कोतवाली थाना प्रभारी फूलचंद टेलर सहित प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
प्रदर्शन मुआवजे के बीच मर गई संवेदना
पूरे मामले में जहां समाज जनों ने प्रदर्शन किया और मुआवजे के लिए दबाव बनाया वही प्रबंधन की संवेदनहीनता के चलते मानवीय संवेदनाएं प्रबंधन के रसूख के आगे दम तोड़ती दिखाई दी। परिजनों ने आरोप लगाया की हादसे के बाद घर के सदस्य की मौत होने की जानकारी दे दी गई लेकिन उसका शव कहां रखा गया है इसे लेकर प्रशासन के अधिकारी और प्रबंधन के अधिकारी चुप्पी साधे रहे। आरोप यह भी है कि हादसे के बाद मृतक की निंबाहेड़ा में मौजूद पत्नी तक को इस बाबत सूचना नहीं दी गई वहीं सूत्रों ने यह भी बताया है कि हादसे के बाद फैक्ट्री से जुड़े लोग शव लेकर रवाना हो गए लेकिन मृतक राजेश का दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुआ हाथ मौके पर पड़ा रहा जिसे बाद में हटाया गया। वही जब तक मुआवजा राशि को लेकर समझौता नहीं हो गया तब तक परिजनों को मृतक को दिखाना तो दूर शव कहां रखा गया है इस बात की भी जानकारी नहीं दी गई। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि मानवीय संवेदनाओ को पर रखकर काम करने वाली इस औद्योगिक इकाई के रसूख के आगे जिम्मेदार आखिर इतने नतमस्तक कैसे हो गए।
धरातल पर नहीं दिखी कागजी मजदूर यूनियन
आमतौर पर विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में मजदूरों के अधिकारों के लिए मजदूर यूनियन होती है जो उनके अधिकारों का हनन होने पर उनके लिए आवाज उठाती है लेकिन वंडर सीमेंट के मामले में यह नियम भी केवल कागजी साबित हो रहा है। बताया जाता है कि यहां भी मजदूर यूनियन सक्रिय है लेकिन मजदूरों के अधिकारियों की रक्षा करने और उनके कल्याण का दावा करने वाले श्रम विभाग के अधिकारी भी मजदूर यूनियन के बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाए वही दूसरी ओर समाज के प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों के अलावा मजदूर यूनियन के कोई अधिकारी मानवता को शर्मसार करने वाले इस मामले में आगे आते नहीं दिखाई दिए। मौके पर स्थिति इस प्रकार बनी की समझौता वार्ता के लिए बनाई गई कमेटी में पूर्व सरपंच गणेश लाल साहू समाज के चोकला प्रतिनिधि लालाराम और पूर्व सरपंच रहे जनप्रतिनिधियों ने वार्ता की वही कोतवाली थाना प्रभारी फूलचंद टेलर ने भी मामले में मध्यस्था की और बाद में पूरे प्रकरण में समझौता हो पाया। ऐसे हालातों में अब साफ हो चला है कि प्रबंधन के रसूख के चलते यहां सक्रिय कथित मजदूर यूनियन भी केवल कागजों में ही सक्रिय है।
कानूनी कार्रवाई पर उठने लगे सवाल
निंबाहेड़ा में संचालित वंडर सीमेंट शुरू से ही विवादों और चर्चाओं का केंद्र रही है यह पहली बार नहीं है कि इस औद्योगिक इकाई में कोई हादसा हुआ है। पूर्व में भी इस इकाई में हाथ से सामने आए हैं लेकिन इन हादसों की ना तो थाने में कोई प्राथमिकी दर्ज होती है ना ही कोई प्रशासनिक जांच की जाती है। इसके विपरीत पूर्व में अन्य औद्योगिक इकाइयों में हुए हादसों में पुलिस ने प्रकरण भी दर्ज किए हैं और जांच भी की गई है लेकिन वंडर सीमेंट के मामले में प्रबंधन के रसूख के आगे ना तो कोई जांच होती है ना ही कोई प्राथमिकी दर्ज की जाती है मृतक राजेश के मामले में अपुष्ट जानकारी के अनुसार बिना सुरक्षा संसाधनों के काम कर रहे कार्मिक की ऊंचाई से गिरने से मौत होने की बात कही जा रही है लेकिन हादसे को लेकर जब प्रबंधन के मीडिया को जानकारी उपलब्ध कराने वाले अधिकृत व्यक्तियों से बात की गई तो उन्होंने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल अपना पल्ला झाड़ लिया। ऐसे में स्पष्ट है कि प्रबंधन से जुड़े लोग जहां हादसे पर पर्दा डाल रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस मामले में होने वाली कानूनी जांच से भी बचने की कवायद की जा रही है।
सीधे उदयपुर ले जाने की दी जानकारी
परिजनों से जानकारी लेने पर सामने आया कि हादसे के बाद परिजनों को जानकारी समय पर नहीं मिल पाई वही निंबाहेड़ा स्वास्थ्य केंद्र और चित्तौड़गढ़ के जिला मुख्यालय पर स्थित चिकित्सालय ले जाने की बजाए सीधे घायल को उदयपुर ले जाया गया परिजनों का आरोप है कि मौके पर ही राजेश की मौत हो गई थी लेकिन प्रबंधन ने उसके शव को उदयपुर ले जाने की कवायद की है और वहां भी उन्हें जीवित अथवा मृत्यु स्थिति में राजेश को नहीं दिखाया गया ऐसे हालातों में कार्मिक की मौत प्रबंधन की भूमिका पर सवाल खड़े करती है।