12285
views
views
सीधा सवाल । चित्तौड़गढ़। अभी कोरोना संक्रमण के ख़ौफ के चलते लॉक डाउन लागू किया हुवा है और लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगी हुई है। लोगों के एक से दूसरे जिले में जाने के लिए विशेष परिस्थितियों में पास की जरूरत होती है। लेकिन जिला मुख्यालय स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय में कार्यरत लेखाधिकारी सभी की आंखों में धूल झोंकते हुवे प्रतिदिन उदयपुर से चित्तौड़गढ़ का सफर कर रहे हैं। वह भी बिना किसी अनुमति व पास के। उदयपुर में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं, ऐसे में वहां सफर पर ही रोक सी लगी है। यह मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में भी आया है लेकिन वहीं विभाग के अधिकारी ही इस पर पर्दा डालने में लगे हुवे हैं। एकाउंट्स अधिकारी के इस अवधि में भुगतान करने की जानकारी मिली है।
जानकारी के अनुसार पूरा देश कोरोना के खौफ से त्रस्त है। इसके कारण लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक है। साथ ही जिन जिलों में कोरोना संक्रमण के पॉजिटिव के सामने आए वहां आने जाने पर तो बहुत सख्ती की हुई है। इन सबके बावजूद चित्तौड़गढ़ में अजमेर विद्युत वितरण निगम कार्यालय चंदेरिया में कार्यरत अकाउंट्स ऑफीसर मोहम्मद मोबीन के ऊपर लॉक डाउन के कोई कानून लागू नहीं हो रहे हैं। लॉक डाउन को धता बताते हुए वे प्रतिदिन उदयपुर से चित्तौड़गढ़ के बीच सफर कर रहे थे। इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों के सामने आई तो इसके बाद सफर करना बंद कर दिया। वे मंगलवार तक ऑफिस आए हैं। मंगलवार तक उनके हाजिरी रजिस्टर में हस्ताक्षर हो रखे हैं। वहीं जानकारी में सामने आया कि बिना पास के चित्तौड़गढ़ उदयपुर के बीच सफर नहीं किया जा सकता। किसी को विशेष परिस्थितियों में पास जारी होता है तो उसे बाद में होम आइसोलेशन में रखने का भी नियम है। लेकिन लेखाधिकारी मोहम्मद मोबीन पर इनमे से कोई नियम लागू नहीं हुआ। वे जिला प्रशासन की आंखों में धूल झोंक नियमों को धता बताते हुए नियमित उदयपुर से चित्तौड़गढ़ के बीच सफर करते रहे। उदयपुर से वे नियमित चितौड़गढ़ कार्यालय आए और कामकाज किया। इस दौरान उन्होंने ठेकेदारों को भुगतान भी किया है, ऐसी जानकारी भी मिली है। ऐसे में कई लोग उनके संपर्क में आए हैं। उदयपुर में वैसे भी कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं। ऐसे में विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है। लेकिन सरकारी सेवा में होने के बावजूद अकाउंट्स ऑफीसर ने सभी नियमों को तोड़ते हुए नियमित सफर किया। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसी क्या मजबूरी रही कि एकाउंट्स ऑफिसर ने नियमित उदयपुर से चित्तौड़गढ़ के बीच सफर किया और विभाग की भी क्या मजबूरी थी कि वह इस पर रोक नहीं लगा पाए और जिला प्रशासन को अवगत नहीं कराया। जानकार सूत्रों ने बताया कि यह मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में भी आया है फिलहाल इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इन सबके बीच लेखाधिकारी ने अपने विभाग के उच्च अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया। अधिकारियों को यह बताया गया कि वे केवल शनिवार को गए और सोमवार के बाद कार्यालय नहीं आए, जबकि मंगलवार तक उनके हस्ताक्षर रजिस्टर में हो रखे हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि वह शनिवार को गए थे उदयपुर गए थे और सोमवार को पुनः आए। मंगलवार को भी उन्होंने हस्ताक्षर कर काम किया। लेकिन जब मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचा तो उदयपुर के लिए रवाना हो गए। बुधवार के बाद उनके कार्यालय आने की जानकारी नहीं मिली है। गनीमत यह रहा है कि अब तक अकाउंट अधिकारी उदयपुर में किसी को कोरोना संक्रमित के संपर्क में नहीं आए। वरना वे चित्तौड़ में भी कोरोना का संक्रमण फैला देते। वैसे कई मामलों में कोरोना संक्रमण के लक्षण 10 दिन बाद दिखाई देते हैं। वही अकाउंट्स अधिकारी मंगलवार तक चित्तौड़गढ़ में ही थे। इधर, अजमेर विधुत वितरण निगम लिमिटेड के अधीक्षण अभियंता रमेश शर्मा ने बताया कि लेखा अधिकारी के लगातार सफर की जानकारी नहीं है। वे शनिवार को गए और सोमवार को आ गए। सोमवार के बाद वे कार्यालय नहीं आये हैं।
- कलेक्टर बोले जारी है जांच
पत्रकार वार्ता के दौरान इस मुद्दे को उठाने पर कलक्टर ने पर बताया कि इस बात की खबर लगते ही एसपी को जांच के लिए कह दिया गया था। वहां जाकर जांच टीम द्वारा पता किया तो वह व्यक्ति कही नहीं मिला और सोमवार से कार्यालय में भी नहीं आया। जांच जारी है।
हालांकि कलेक्टर ने आगे भी जांच जारी रखी है लेकिन सवाल ये उठता है कि एकाउंट्स अधिकारी सोमवार से ही कार्यालय में नहीं जा रहे हैं जबकि हाजिरी रजिस्टर में मंगलवार तक हस्ताक्षर अंकित है।