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पाली। एजेंसी। अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा व अन्य अवसरों पर पश्चिमी राजस्थान में बड़ी संख्या में होने वाले बाल विवाह की आशंका के मद्देनजर राज्य सरकार ने सभी उपखण्ड अधिकारियों को बाल विवाह रोकने की जिम्मेदार दी है। उन्हें कहा गया है कि वे उपखण्ड कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित कर अपने-अपने क्षेत्रों में सतत् निगरानी रखें। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर किसी उपखण्ड क्षेत्र में बाल विवाह के आयोजन हुए तो इसके लिए संबंधी उपखण्ड मजिस्ट्रेट जिम्मेदार होगा। प्रदेश में आखातीज 25 व 26 अप्रेल तथा पीपल पूर्णिमा 7 मई को अबूझ सावा होने के कारण बाल विवाहों के आयोजन की प्रबल संभावनाएं रहती है। खासकर पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में जागरूकता के अभाव में ग्रामीण अबोध बालक-बालिकाओं को परिणय सूत्र में बांध देते है। इसके लिए सरकारी स्तर पर शारदा एक्ट बना हुआ है लेकिन इसकी पालना ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं हो पाती है। राज्य सरकार ने बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम व तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी एवं स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध के अधिनियमों के प्रावधानों का व्यापक प्रचार प्रसार करने एवं आमजन को इसकी जानकारी करवाते हुए जन जागृति उत्पन्न कर बाल विवाह रोकने के निर्देश दिए।