views
सीधा सवाल । चित्तौड़गढ़। कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तोैडगढ के मृदा वैज्ञानिक डाॅ. रतनलाल सोलंकी, नेे किसानों के लिए बताया कि भूमि से पूर्ण लाभ उठाने एवं उर्वरा शक्ति का पता लगाने के लिए किसानों को खेत की मिट्टी जांच कराकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त करना आवश्यक है। मृदा जांच के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड में ही फसलों के लिए खाद व उवरकों की सिफारिश की जाती है। क्षारीयता व लवणीयता के बारे में भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड से पता चलता है। इसके आधार पर समस्याग्रस्त भूमि के सुधार प्रबन्ध के बारे में सिफारिश दी जाती है। किसान भाई मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशानुसार खाद का प्रयोग कर फसल की लागत कम कर सकते है। अतः मृदा स्वास्थ्य कार्ड की आवश्यकता एवं उपयोगिता निम्नाअनुसार है।
देश में कृषि उत्पादन की वर्तमान स्थिति वैज्ञानिको एवं किसानो दोनो के लिए ही चिंता का विषय एवं चुनौती भरा है क्योकि मृदा की उर्वरता में निरन्तर गिरावट आ रही है। भारतीय किसानों में मृदा परीक्षण के प्रति बहुत कम जागरूकता है इसलिए किसान मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक सिफारिश के अनुसार खाद व उर्वरको का उपयोग नही करते हैै। जिसके कारण असंतुलित उर्वरक उपयोग हो रहा है व नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश 4:2:1 के आदर्श उपयोग अनुपात पर अब तक नही हो पा रहा है। असंतुलित उर्वरक उपयोग से न केवल मृदा उर्वरता में कमी बल्कि मृदा उत्पादकता में भी ठहराव आ गया है। पोषक तत्वों के अपर्याप्त एवं असंतुलित उपयोग के कारण मृदा से पोषक तत्वों के ह्यस से कमी एक अहम समस्या बन गयी है। फसलोत्पादन के वर्तमान स्तर पर मृदा से लगभग 36 मिलियन टन पोषक तत्वों (एन.पी.के.) का दोहन प्रतिवर्ष होता है, जो 2025 में 45 मिलियन टन हो जायेगा जबकि रासायनिक उर्वरको से पोषक तत्वों की आपुर्ति 28 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। इस प्रकार मृदा से प्रतिवर्ष 8-10 मिलियन टन पोषक तत्वों का ह्यस हो रहा है। लगभग 36.5 लाख मिट्टी के नमूनो के विभिन्न मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में उपलब्ध एन.पी.के. के विश्लेषण से यह पाया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर मृदा में कुल नाइट्रोजन का स्तर कम, फॉस्फोरस का स्तर मध्यम और पोटेशियम का स्तर उच्च आंका गया है। अखिल भारतीय समन्वित सूक्ष्म पोषक तत्व योजना के तत्वाधान में देश के 20 राज्यों में तैयार 2.52 लाख मिट्टी के नमूनों के विश्लेषण के आधार पर गंधक, जिंक, बोरोन, मोलिब्डिनम, लोहा, मैंगनीज एवं तॉबा के क्रमशः 41, 49, 33, 13, 12, 5 एवं 3 प्रतिशत नमूनो में कमी के संकेत मिले है। मृदा स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करना चाहिए और इसके लिए मृदा के स्वास्थ्य की जांच समय-समय पर कराना अति आवश्यक है। मृदा परीक्षण के माध्यम से मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक स्थिति का पता लगता है व जानकारी मिलती है कि मृदा किस प्रकार की फसलों के लिए उपयुक्त है एवं मृदा में किस विशेष तत्व की कमी या अधिकता है। ध्यान रहे यदि मृदा स्वास्थ्य में सुधार नही होगा तो उत्पादन स्तर नही बढ़ेगा और टिकाऊ खेती का सपना साकार नही हो पायेगा। खेती को टिकाऊ व लाभदायक बनाने के लिए पोषक तत्वों का जरूरत के अनुसार खेत की मृदा में उपयोग करना चाहिए। फसल विशेष हेतु उर्वरक की सही मात्रा में जानकारी मृदा परीक्षण द्वारा ही मिल सकती है, अतः मृदा परीक्षण उर्वरको के सार्थक उपयोग व बेहतर फसल उत्पादन के लिए नितान्त आवश्यक है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
भारत सरकार, कृषि मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग के द्वारा चलाई जा रही एक योजना है। इसका कार्यान्वयन सभी राज्य एवं केन्द्र शासित सरकारों के कृषि विभागो के माध्यम से किया जाएगा। सॉइल हैल्थ कार्ड का उद्देश्य प्रत्येक किसान को उसके खेत की मृदा में पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी देना है और उन्हे उर्वरको की सही मात्रा के प्रयोग और आवश्यक मृदा सुधारो के सम्बन्ध में सलाह देना है ताकि लम्बी अवधि के लिए मृदा स्वास्थ्य को स्थिर रखा जा सके।
स्वस्थ मृदा के महत्व को स्वीकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2015 को अर्न्तराष्ट्रीय मृदा वर्ष एवं 5 दिसम्बर को विश्व मृदा दिवस घोषित किया है। इस दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मृदा स्वास्थ्य गिरावट की समस्या का समाधान करने का आह्यवान किया है, सरकार द्वारा एक महत्वाकांक्षी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के गंगानगर जिले के सूरतगढ़ से शुभारम्भ किया गया है। जिसमें माननीय प्रधानमंत्रीजी ने ‘‘ स्वस्थ धरा-खेत हरा’’ का नारा देकर लोगो को मृदा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है?
मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों का मिला-जुला प्रभाव जो कि उत्पादकता के रुप में परिलक्षित होता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड एक रिपोर्ट अर्थात खेत की मिट्टी की जन्मपत्री है जिसमें मृदा स्वास्थ्य सम्बन्धी 12 मापदंडो (मानकों) को दर्शाया जाता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरक प्रयोग एवं मृदा सुधारक उपयोग की सलाह प्रदान करता है। यह एक गुणात्मक रूप से मृदा के स्वास्थ्य का मूल्यांकन है। इस कार्ड का उद्देश्य एक मृदा का किसी अन्य मृदा से तुलना करने का नही बल्कि मृदा क्षमताओ और साईट सीमाओ के अन्दर फसल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक मृदा की क्षमता का मूल्यांकन संकेतको द्वारा उपयोग करने के लिए है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड में विवरण
मिट्टी की उर्वरता के बारे में जानकारी
फसलों में उर्वरक उपयोग की मात्रा
लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी में मृदा सुधारक उपयोग के बारे में जानकारी
समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन पर सिफारिश
मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ
संतुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरक उपयोग का बढ़ावा देना।
प्रति इकाई क्षेत्र से कम लागत में कृषि उत्पादन बढ़ाना।
फसलों एवं फल वृक्षों के चयन में सुविधा।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसान को अपने खेत की गुणवŸाा की जानकारी प्राप्त करवाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानो को खेतो में पोषक तत्वों या उर्वरको के उपयोग की बुनियादी जानकारी उपलब्ध करायेगा तथा किसानो के खेतो की उत्पादकता में सुधार करने में मदद करेगा।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड उर्वरको की फसल के लिहाज से सिफारिश करता है। यह मिट्टी के स्वास्थ्य की पहचान करने और विवेकपूर्ण तरीके से मिट्टी में पोषक तत्वों का उपयोग करने में मदद करता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड से समन्वित पोषक तत्व प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी जिससे लगभग 20 प्रतिशत रासायनिक उर्वरको की खपत कम हो सकेगी।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड से चयनित फसलों की उत्पादकता में लगभग 20 प्रतिशत वृद्वि की संभावना है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपयोग से जैव उर्वरक, जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, धीमी गति से जारी नाइट्रोजन युक्त उर्वरको की मांग में वृद्धि होगी जिससे मिट्टी की उर्वरकता एवं पोषक तत्व उपयोग क्षमता में वृद्धि होगी।
सभी किसानो के पास मृदा स्वास्थ्य कार्ड होने पर आदानो पर अनावश्यक खर्च से बचा जा सकेगा।
मृदा की जांच कब करवायें
फसल की कटाई हो जाने के बाद अथवा पकी हुई खड़ी फसल के समय जब भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो।
खेत की उत्पादकता कम हो रही है या फसल चक्र बदल रहे है।
फसल बुवाई से एक -डेढ़ माह पूर्व मृदा की जांच करवायें ताकि बुवाई से पूर्व ही परिणाम प्राप्त हो जायें।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड को कैसे उपयोग में लेवे ?
मृदा स्वास्थ्य कार्ड से सर्वप्रथम खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में पता लगायें कि खेत की मिट्टी अम्लीय, क्षारीय अथवा लवणीय है, यदि इस प्रकार की मिट्टी है तो सिफारिश के अनुसार मृदा सुधारक का प्रयोग अवश्य करें।
मृदा की उर्वरता स्तर का पता लगायें कि मृदा उर्वरता का स्तर कम, मध्यम अथवा ज्यादा है। मृदा के उर्वरता स्तर को उचित बनाये रखने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिश के अनुसार कार्बनिक एवं अकार्बनिक खादों का प्रयोग करे।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड से पता लगायें कि किस फसल के लिए कितनी मात्रा में और कौनसी खाद का प्रयोग करना चाहिए अर्थात मृदा स्वास्थ्य कार्ड में अंकित खाद एवं उर्वरको की मात्रा का फसलवार प्रयोग करे।