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कोरोना संक्रमण अब धीरे-धीरे निंबाहेड़ा से खत्म हो रहा है यहां का जीवन अब धीरे-धीरे फिर से पटरी पर लौटेगा इस बात की उम्मीद और बढ़ गई है। जो वायरस की चपेट में आए थे वे लोग अब ठीक हो रहे हैं। यह खुशी की बात है कि 93 लोग इस वायरस से जिंदगी की जंग लड़कर अपने घर लौट आए हैं। लेकिन इन सबके बाद अब सवाल उठता है कि इन हालातों का जिम्मेदार कौन है ? कई बड़े अखबारों ने कई बाते छापी थी जो इस संक्रमण के दावानल से जुड़ी हुई थी। एकाएक जंगल की आग की तरह यह संक्रमण निंबाहेड़ा में फैला और फैलने के साथ ही इसने जो तांडव मचाया उससे निंबाहेड़ा के कई परिवारों में शंका और आशंकाओं के ऐसे बादल फैल गए की वे लोग जिनके परिजन इस संक्रमण की चपेट में आए मौत की छाया हर पल अपनों पर मंडराते देखते रहे। 8 माह के मासूम से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक हर कोई इस संक्रमण की चपेट में आ गया। इनमें वे लोग भी थे जिनका कोई कुसूर नहीं था उन्होंने तो अपने घरों में बैठकर लॉक डाउन का पालन किया था। दूध मुंहे बच्चे जो अपने मां-बाप की उंगली पकड़े बिना चल भी नहीं पाते उन्हें लेकर उनके मां बाप के मन में डर बैठ गया। हालांकि मां की ममता जीती और कोरोना का डर घुटने टेक भाग खड़ा हुआ। फिर भी इन सब के बीच हर एक ने कुछ ना कुछ तो खोया है। इसलिए इन हालातों के बीच अब यह सवाल अहम है कि आखिर गलती किसकी थी, जिसकी सजा पुरे निंबाहेड़ा नगर को भुगतनी पड़ी। आखिर जिम्मेदार कौन है? जिसकी वजह से हंसते खेलते परिवारों में मौत के सन्नाटे का डर घर कर गया। कई परिवारों को ये डर एक ऐसी टीस दे गया है जिसे कोई सरकार नहीं भर पाएगी। ऐसा घाव कर गया है जिसका दर्द उन्हें जिंदगी भर सालता रहेगा। कोई अखबार भले ही कितना भी लिख ले या सरकार मोबाइल की कॉलर ट्यून लगा दे लेकिन एक ऐसी दूरी बन गई है जिसे लंबे समय तक मन से कोई पाट नहीं पाएगा। इसलिए जब निंबाहेड़ा के हालात सामान्य हो रहे हैं तो यह जवाबदारी जनप्रतिनिधियों की है, प्रशासनिक अधिकारियों की है और सरकार की है कि जिस तरह समीपवर्ती भीलवाड़ा में संक्रमण फैलाने की जिम्मेदारी तय करने के लिए टीम का गठन किया गया उसी तरह निंबाहेड़ा में भी संक्रमण के विस्फोट के लिए कौन जिम्मेदार है इस बात की पूरी जांच हो। दोषी को पहचान कर उसके खिलाफ भारत की विधान प्रक्रिया के तहत कार्यवाही हो, ताकि भविष्य में कभी भी आपातकालीन स्थिति में कोई सरकार के नियमों का मजाक बनाने की हिमाकत नहीं कर सके। जिसकी सजा उन लोगों को भुगतनी पड़े जिनका कोई कुसूर नहीं हो, साथ ही यह जिम्मेदारी हम सब की भी है की इस संक्रमण को फैलाने के लिए दोषी कौन है इसकी जांच के लिए हम सरकार से मांग करें, जिसने विकास का पर्याय बने निंबाहेड़ा में रहने वाले लोगों की जिंदगी को घरों में कैद होने पर मजबूर कर दिया गया। उन दिहाड़ी मजदूरों की घर की स्थितियों का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता जो अपनी हाड तोड़ मजदूरी के बाद अपने बच्चों और अपने परिवार के लिए आटा और नमक मिर्ची लेकर जाता है ताकि उनका पेट भर सके। दबे स्वरों में जो चर्चाएं हैं, उनका कोई ना कोई तो आधार जरूर होगा क्योंकि धुआं वही उठता है जहां आग लगी होती है। इसलिए संक्रमण की इस आग को लगाने वाले लोगों की पहचान हो और उन्हें विधान की प्रक्रिया के तहत दंडित किया जाए ताकि वे लोग जिन्होंने अपनों को खोया है कम से कम उनके मन को शांति मिल सके। जीवन भर वे इस अपराध बोध से ग्रसित नहीं हो की सामान्य हालातों को बदतर बनाने के लिए वे भी जिम्मेदार हैं। उन्हें स्पष्टीकरण नहीं देना पड़े कि हम गुनहगार नहीं बल्कि किसी और के गुनाह के शिकार है। जिस तरह देश के बड़े अखबारों ने लिखा है उससे इस बात को भी इशारा मिलता है कि लॉक डाउन का पहला चरण बिना किसी संक्रमण के गुजरा और हम ग्रीन जोन में रहे पूरे देश में जब संक्रमण से त्राहिमाम मचा हुआ था उस समय हम सुकून से अपने घरों में सो रहे थे इसलिए हर बेगुनाह के सुकून को छीनने वाले की गलती में कहीं ना कहीं वे जिम्मेदार भी शामिल है जिन्हें इस संक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसलिए इन हालातों के लिए जिम्मेदार हर एक व्यक्ति की पहचान हो चाहे वह सफेदपोश हो, सिस्टम से जुड़ा हो या फिर चोरी-छिपे इस संक्रमण को लेकर आने वाला कोई सामान्य आदमी ही क्यों ना हो, जरूरी है कि इस बात की जिम्मेदारी तय की जाए, आखिर सुकून के हालातों को डर और भय के साए में धकेलने वाला जिम्मेदार कौन है। दबे स्वरों में नहीं बल्कि लिखित रूप, सोशल मीडिया के जरिए हम इस बात को उठाएं कि हमारे निंबाहेड़ा को इन हालातों में धकेलने के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान हो, इससे वह लोग जिनका कोई कसूर नहीं था अपने परिजनों से दूर एकांतवास में रहे, मासूम दूध से मरहूम रहे, दिहाडी करने वाले मजदूरों के घर का चूल्हा बंद रहा इन सबके लिए जो जिम्मेदार हो उसकी पहचान हो, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि हर एक की जिम्मेदारी है कि इन हालातों के लिए जो जिम्मेदार हो उसकी पहचान सार्वजनिक करें ताकि भविष्य में कोई आपदा के हालातों में आम जीवन को खतरे में डालने की हिमाकत नहीं कर सके। निष्पक्ष जांच हो और हम आज घरों में बैठकर जिस त्रासदी से गुजरे हैं उसके लिए जिम्मेदार लोगों के बारे में जानने का हमारा पूरा अधिकार है। इसलिए हमें सरकार और शासन से जवाब मांगना चाहिए और जिम्मेदारों को जवाब देना चाहिए।