views
आज से करीब 2 वर्ष पूर्व यही समय था और एक वीडियो रातों रात बड़ा ट्रेंडिंग में आया था। वैसे तो इंडिया में ढिंचक पूजा हो या डांस वाले डब्बू अंकल,सोशल मीडिया से आज आम आदमी को भी एक उच्च स्तरीय पहचान मिल ही जाती है। बशर्ते की उसने हमें प्रभावित किया हो या मनोरंजन ही किया हो। लेकिन जिस वीडियो की बात यहां हो रही है। आज तक न तो उस वीडियो के प्रचलन का कारण पता चला और ना ही ये पता चल पाया कि आखिर ये सोनू था कौन? बस चार पांच लोग एक साथ बोलते हुए वीडियो बनाते "सोनू तने म्हारे पे भरोसो नहीं के" और वीडियो कुछ ही देर में वायरल हो जाता।
बहरहाल, उस सोनू का भले ही पता ना चला हो लेकिन देश में आज फिर एक सोनू की चर्चा है। और चर्चा का कारण है सोनू की नेक नीयत और परोपकारी भावना। जी हां, सोनू सूद। बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद।
पर्दे पर भले ही सोनू सूद ने अनगिनत किरदार खलनायक के रूप में निभाए हों लेकिन असल ज़िन्दगी में एक महानायक के तौर पर सोनू इन दिनों सामने आए हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया की खबरें हों या सोशल नेटवर्किंग साइट्स हर जगह सिर्फ और सिर्फ सोनू की चर्चा है।
कारण है मजदूर.........
जी हां, वही मजदूर जो अब तक मजबूर था। वही मजदूर जो हज़ारों किलोमीटर सड़कों पर पैदल चल रहा था और वही मजदूर जो उत्तरप्रदेश और राजस्थान सरकार की राजनीति में ऐसा पिसा की बिचारा बसें सामने देखकर भी बेबस ही बैठा रह गया।
लेकिन इस विपरीत परिस्थिति में भी अभिनेता सोनू सूद इन मजदूरों के लिए मसीहा बनकर सामने आए और मुंबई से हजारों श्रमिकों को अपने घर पहुंचाया। इतना ही नहीं खुद इन मजदूरों के लिए बसें उपलब्ध करवाई और उनके पास जाकर मदद भी की। वैसे तो बॉलीवुड में तमाम सितारे किसी न किसी तरह से जरूरतमंदों की मदद कर ही रहे हैं लेकिन सोनू का ज़िक्र यहां इसलिए ज़्यादा है क्योंकि जो काम बड़े बड़े प्रदेशों की सरकारें नहीं कर पाई वो काम अकेले एक इंसान ने कर दिखाया और तमाम उन नेताओं को भी ज़मीनी हक़ीक़त दिखा दी जो अभी भी उत्तरप्रदेश बनाम राजस्थान के सियासी ड्रामे में उलझे हुए हैं। जहां मजदूर और अन्य लोग अब तक सरकार के भरोसे बैठे हुए थे अब उन्हें सिर्फ एक इंसान पर भरोसा है,सोनू पर।
और हो भी क्यों ना। सोनू ने जो भी वादा अपने फैन्स या जरूरतमंदों से ट्विटर पर किया उसे शब्दशः पूरा भी किया।
किसी ने सोनू से मां को याद करके रोता हुआ इमोजी भेजा तो किसी ने पिता के इलाज के लिए घर पहुंचना ज़रूरी बताया। सोनू ने हर उस शख्स को जवाब दिया,जो घर पहुंचने की उम्मीद में था। हजारों श्रमिकों को घर भेज चुके सोनू सूद के पास अभी भी पैंतीस से चालीस हजार लोगों के घर जाने के संदेश हैं और सोनू उन सभी को घर भेजने की हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। ट्विटर या सोशल नेटवर्किंग के साथ ही अब सोनू एक फोन नंबर भी जल्द ही जारी करने वाले हैं जिससे की ये पहल धरातल पर और सरल हो जाए।
जिसने तेरा घर संवारा आज वो बेघर है,
चेहरे पर शिकन मन में कई डर हैं ,
आओ खोल दें अपने घर के दरवाजे,
कहीं कुछ दिन बस यही तेरा घर है,
माना कि काली रात है लेकिन पूरा भारत साथ है...
सोनू सूद की इंस्टाग्राम पर पोस्ट की ये कविता उन सभी योद्धाओं को समर्पित है जो किसी न किसी रूप में कोरोना से जंग लड़ रहे हैं और देशवासियों के लिए ढाल बनकर खड़े हैं। घर लौटने वालों के लिए बसों का इन्तजाम करने के साथ ही सोनू नियमित रूप से मुंबई में 45 हजार लोगों के खाने की व्यवस्था भी देख रहे हैं।
जैसे जैसे ये खबर आगे बढ़ती जाती है,तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगती हैं।
कोई सोनू को पद्मभूषण देने की मांग करता है तो कोई इस पूरी प्रक्रिया पर ही फिल्म बनाना चाहता है। किसी शहर में सोनू की मूर्ति बनाने की खबर वायरल होती है तो कहीं राजनीति में सोनू का उदाहरण देकर राजनीतिक उलाहनें दिए जाते हैं।
जो भी हो............ फिलहाल,सोनू के रूप में एक इंसान नहीं बल्कि एक फरिश्ता मुंबई की सड़कों पर है और लाखों उन श्रमिकों के लिए रीयल लाइफ का मसीहा बनकर खड़े हैं। जिसे सिर्फ़ इस सदी में ही नहीं बल्कि कई सदियों तक याद किया जाएगा।
और शायद इसीलिए आज हर मजदूर भाई खुश होकर के कह रहा है................
"सोनू म्हाने थारे पे भरोसो ही छे"
अभिषेक तिवाड़ी
वरिष्ठ पत्रकार, रंगकर्मी एवं लेखक